अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर से केंद्र सरकार से मांग की है कि राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार को भूमि का अधिग्रहण करने की जरूरत है। इसके लिए अगर कानून बनाना पड़े तो, सरकार को कानून पास करना चाहिए।
गौरतलब है कि आरएसएस लगातार राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर केंद्र सरकार से निर्णय लेने की मांग करता रहा है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी 18 अक्टूबर को सरकार से अपील की थी कि वह कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे।
वहीं, एक अन्य बयान में आरएसएस ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द फैसला करे। यदि कुछ कठिनाई हो तो, सरकार कानून बनाकर मंदिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर करे तथा श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे।
The government needs to acquire land for the construction of #RamTemple and make a law in this regard: Rashtriya Swayamsevak Sangh in its statement pic.twitter.com/Z8uetp3Bo2
— ANI (@ANI) October 31, 2018
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने अपने बयान में कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है। उन्होंने दावा किया कि तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहां कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहां मंदिर ही था।
अरुण कुमार ने कहा था कि संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए तथा जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिए भूमि मिलनी चाहिए। मन्दिर बनने से देश में सद्भावना एवं एकात्मता का वातावरण निर्माण होगा।
उन्होंने कहा था कि जब से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ है, तब से पूज्य संतों और धर्म संसद के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा है, और उसका हमने समर्थन किया है, आगे भी वे जो निर्णय करेंगे उसमें हम उनका समर्थन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी।