सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली पुलिस और योगा गुरु राम देव की सरज़निश की कि इनकी वजह से गुज़श्ता साल राम लीला मैदान पर निस्फ़ शब का परतशद्दुद वाक्या पेश आया।
अदालत ने मज़ीद कहा कि इस तरह के वाक़िया से अवाम और हुकूमत के दरमयान एतिमाद की कमी की वाज़िह मिसाल मिलती है। जस्टिस बी एस चौहान और स्वतंत्रा कुमार पर मुश्तमिल एक बेंच ने कहा कि दिल्ली में पेश आया वाक़्या ताक़त का मुज़ाहरा था जो जमहूरीयत की बुनियाद को दहलाकर रख दिया।
बेंच ने मज़ीद एहसास ज़ाहिर किया कि पुलिस और हुकूमत इस तरह के अफ़सोसनाक वाक्या से गुरेज़ कर सकते थे जिसमें एक शख़्स हलाक और दीगर कई ज़ख्मी हुए। इससे अवाम और हुकूमत के दरमयान भरोसा के फ़ुक़दान की एक बदतरीन मिसाल दी जा सकती है।
बेंच ने मज़ीद कहा कि पुलिस की कार्रवाई का मतलब अमन लाना है लेकिन उन लोगों ने अपने तौर पर अमन को दिरहम ब्रहम किया। सुप्रीम कोर्ट ने राम देव और दिल्ली पुलिस दोनों को राम लीला मैदान पर पेश आए निस्फ़ शब वाक़्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।
अदालत ने पुलिस अमला और और राम देव के हामीयों के ख़िलाफ़ फ़ौजदारी कार्रवाई करने की हिदायत दी जिन्होंने तशद्दुद के दौरान क़सदन हंगामा आराई की ताहम बेंच ने ये भी कहा कि पुलिस ने महव ख़ाब मुतास्सिरीन पर हमला किया।
पुलिस और हुकूमत अगर चाहते, इस वाक़्या से गुरेज़ कर सकते थे। दिल्ली पुलिस ने ताक़त का बेजा इस्तेमाल किया और अवाम के बुनियादी हुक़ूक़ को पामाल किया गया। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इस वाक़िया में फ़ौत राज बाला के अरकान ख़ानदान को पाँच लाख रुपये मुआवज़ा देने का हुक्म दिया।
बेंच ने इस वाक़्या में शदीद ज़ख्मी होने वालों को 50 हज़ार रुपये मसारिफ़ देने और मामूल ज़ख़मीयों को 25,000 रुपये मुआवज़ा देने का हुक्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मीडीया रिपोर्टस का अपने तौर पर नोट लेते हुए जिनमें बताया गया कि गुज़श्ता साल 4 और 5 जून की दरमयानी शब राम लीला मैदान पर ख्वातीन और बच्चों के बिशमोल राम देव के महव ख़ाब हामीयों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई को बहीमाना बताया गया है।
बेंच ने इस वाक़्या से मुताल्लिक़ केस पर अपना फ़ैसला 20 जनवरी को महफ़ूज़ कर दिया था। राम देव ने इल्ज़ाम आइद किया कि पुलिस की कार्रवाई सयासी आक़ाओं की हिदायत का नतीजा थी। पुलिस ने अपने सयासी आक़ाओं के इशारों पर अमल किया है।
उन्होंने इन तमाम अफ़राद के ख़िलाफ़ कार्रवाई का मुतालिबा किया जो इस वाक़्या के लिए ज़िम्मेदार हैं या पुलिस कार्रवाई करने की हिदायत दी गई थी। बाबा राम देव गुज़श्ता साल रिश्वत के ख़िलाफ़ अपने हामीयों के साथ एहतिजाजी मुज़ाहरा कर रहे थे।
इनका मुतालिबा था कि यू पी ए हुकूमत, बैरूनी बैंकों में जमा काले धन को हिंदूस्तान वापस लाने के लिए ठोस कोशिश करे। टैक्स से बचने के लिए बैरूनी बैंकों में गै़रक़ानूनी तौर पर काला धन जमा रखा गया है ताहम दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि राम देव ने अपने हामीयों को तशद्दुद के लिए उकसाया, इस पर मजबूरन पुलिस को इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी पड़ी।