चीफ़ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट पी सथासिवम की ज़ेरे क़ियादत बेंच का फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक तारीख़ साज़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि शहरियों को इंतेख़ाबात में मुक़ाबला करने वाले तमाम उम्मीदवारों को खारिज करते हुए मनफ़ी वोट देने का हक़ हासिल है। सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से ऐसे अवाम की हौसलाअफ़्ज़ाई होगी जो मुक़ाबले में शामिल किसी भी उम्मीदवार से मुतमइन नहीं हैं फिर भी वोट देने आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को हिदायत दी कि राय दहिनदों की फ़हरिस्त के इख़तेताम पर राय दहनदों को इन में से किसी की भी ताईद नहीं का कालम भी शामिल करे।
बर्क़ी रायदही मशीनों और पर्चा जात राय दही पर राय दहिनदों को तमाम उम्मीदवारों को खारिज करने का हक़ दिया जाना चाहीए। चीफ़ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट पी सतासीवम की ज़ेरे क़ियादत बेंच ने कहा कि मनफ़ी राय दही से इंतेख़ाबात मुतहर्रिक और ख़ालिस बन सकते हैं और बड़े पैमाने पर ऐसे अफ़राद की इंतेख़ाबात में शमूलीयत यक़ीनी हो सकती है जो राय दहनदों की पसंद हो । ऐसे राय दहिनदे जिन्हें कोई भी उम्मीदवार पसंद ना हूहक़ राय दही से इस्तिफ़ादा करने आ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में कहा गया है कि मनफ़ी राय दही का नज़रिया इंतेख़ाबी अमल में एक मनज़्ज़म तबदीली लाएगा क्योंकि सियासी पार्टीयां इंतेख़ाबात में साफ़ सुथरे उम्मीदवारों को टिकट देने पर मजबूर होजाएंगी। मनफ़ी रायदही का नज़रिया 13 ममालिक में राइज है। हिन्दुस्तान में भी अरकान-ए-पार्लियामेंट को ये इख़तियार दिया जाता है कि वो रायदही से गैरहाज़िरी का मुतबादिल इख़तियार करें जबकि ऐवान पार्लियामेंट में राय दही मुनाक़िद की जाये।
अदालत ने कहा कि इंतेख़ाबात में उम्मीदवारों को खारिज करने का आज़ादी तक़रीर और आज़ादी इज़हार के बुनियादी हुक़ूक़ का हिस्सा है जिसकी तमानीयत दस्तूर ने हिन्दुस्तानी शहरीयों को दी है। उन्होंने कहा कि जम्हूरियत सिर्फ़ इंतेख़ाबात की बुनियाद पर क़ायम होती है इस लिए शहरीयों को मनफ़ी रायदही का हक़ होना चाहीए। मनफ़ी राय दही के नज़रिये के साथ जो राय दहनदे मुक़ाबले में शामिल तमाम उम्मीदवारों से नाराज़ हूँ कसीर तादाद में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने मराकिज़ राय दही आसकते हैं। ग़ैर समाजी अनासिर और धोकेबाज़ इंतेख़ाबात में शामिल नहीं होंगे। फ़ैसले में कहा गया है कि खु़फ़ीया रायदही को यक़ीनी बनाया जाना चाहीए।
इलेक्शन कमीशन को चाहिए कि इसका इन्किशाफ़ ना करे कि किस राय दहिनदे ने तमाम उम्मीदवारों को खारिज कर दिया है। एक ग़ैर सरकारी तंज़ीम पीपल्ज़ यूनीयन फ़ार सियोल लिबर्टीज़ ने एक दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा दाख़िल की थी और राय दहनदों को मनफ़ी राय दही का हक़ तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपना ये फ़ैसला ईसी दरख़ास्त की बुनियाद पर सुनाया है।