नई दिल्ली: जहां पूरा विपक्ष और तमाम स्कॉलरों के साथ साथ विदेशी यूनिवर्सिटीज भी जेएनयू के छात्रों के हक़ में खड़ी हैं, पूर्व नेवी चीफ एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास(रिटायर्ड) भी जेएनयू के हक़ में खड़े हो गए हैं.
सरकार के राष्ट्रद्रोह के आरोप को बेतुका बताते हुए पूर्व नेवी एडमिरल रामदास ने कहा “ये सब फ़र्ज़ी विडियो हैं, और अगर कोई देश विरोधी नारे लगा भी रहा था तो ये किसी ने जानने की कोशिश की कि नारे किसने लगाए? किसी भी छात्र पे राष्ट्रद्रोह लगा देना एकदम बेतुका है. इस तरीक़े के क़ानून की भी देश को ज़रुरत नहीं.”
कनैय्या कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बंन भट्टाचार्य के समर्थन में जेएनयू कैंपस का दौरा किया और कहा,”कोई देश अपनी सैनिक शक्ति के दम पे मज़बूत नहीं हो सकता, देश लोगों से बनता है.”
“सरकार और सुरक्षा एजेंसीयों को पहले ये देखता तो चाहिए कि ये केस सेडीशन के दायरे में आता है या नहीं. राष्ट्रवाद सिर्फ़ सेना और सैनिकों तक सीमित नहीं होता, ये इससे बढ़कर है. राष्ट्रवाद यूरोप में 17वीं शताब्दी में शुरू और हम 21वीं शताब्दी में भी इसी को लागू करने पे हैं. इसके अलावा, राष्ट्रवाद कुछ लोगों तक सीमित नहीं होना चाहिए, ये तो सीमाओं से परे होना चाहिए.