राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का समर्थन किया। इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाये ।
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने जोर दिया कि देश की ताकत इसकी बहुलतावाद और विविधता में निहित है और भारत में पारंपरिक रूप से तर्को पर आधारित भारतीयता का जोर रहा है, न कि असहिष्णु भारतीयता का।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे देश में सदियों से विविध विचार, दर्शन एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं। लोकतंत्र के फलने फूलने के लिए बुद्धिमतापूर्ण और विवेकसम्मत मन की जरूरत है।’’ प्रणब मुखर्जी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित किया लेकिन संसद और राज्य विधानसभाओं में व्यवधान के प्रति सचेत भी किया ।