परनब मुकर्जी और पी ए संगमा की ताईद ( समर्थन) के मसला पर इंतिशार (गड़बड़) का शिकार बी जे पी और जे डी यू ने आज एक दूसरे पर मुकम्मल तौर पर वाज़िह (स्पष्ट) कर दिया कि ये मसला बरक़रार है क्योंकि दोनों अपने अपने मौक़िफ़ ( निश्चय) पर अटल हैं।
दोनों पार्टीयों ने ज़राए इबलाग़ के ज़रीया एक दूसरे से मौक़िफ़ तबदील ( परिवर्तन) करने की अपील की। जनतादल (यू) और शिवसेना बी जे पी से दूर हो चुके हैं जबकि बी जे पी तृणमूल कांग्रेस से रब्त ( संपर्क) पैदा करने की कोशिश कर रही है ताकि इसे पी ए संगमा की ताईद (समर्थन) के लिए तैयार कर सके, जिन्होंने अपनी उम्मीदें ज़मीर की आवाज़ पर वोट की अपील से वाबस्ता (संलग्न) कर रखी हैं।
19 जुलाई को सदारती इंतिख़ाब (राष्ट्रपती चुनाव) मुक़र्रर है, जिस में ऐसा मालूम होता है की परनब मुकर्जी वाज़िह तौर पर कामयाबी हासिल कर लेंगे। सदारती इंतिख़ाब (राष्ट्रपती चुनाव) के मसला पर एन डी में फूट पड़ गई है। बी जे पी के तर्जुमान रवी शंकर प्रसाद ने जे डी यू और शिवसेना से अपील की है की वो संगमा की ताईद ( मदद/ सहायता) करें।
जे डी यू क़ाइद ( नेता) शिवा नंद तीवारी ने इस अपील पर फ़ौरी रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए जवाबी अपील की और कहा कि वो बी जे पी से अपील करते हैं कि तजुर्बाकार ( अनुभवी) सियासतदां परनब मुकर्जी की ताईद ( समर्थन) करें जो एक ज़हीन ( कुशल) और दस्तूर-ओ-पारलीमानी जमहूरीयत से मुख़लिस शख़्सियत हैं, वही सदर के ओहदा के मुस्तहिक़ ( लायक) हैं।
उन्होंने बी जे पी के तर्जुमान ( spokes person) रवी शंकर प्रसाद के इस इद्दिआ (दावा) पर भी एतराज़ किया कि परनब मुकर्जी मुल्क के मआशी मसाइल (आर्थिक समस्याओं) के ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने अमली ( कार्य संबंधी) एतबार से कह दिया कि यू पी ए हुकूमत इस मसला पर मुसावी (बराबर/ /समान) तौर पर ज़िम्मेदार है।
मुकर्जी हिंदूस्तानी मईशत ( जीविका) की अबतर सूरत-ए-हाल के ज़िम्मेदार नहीं हैं। मआशी बोहरान ( आर्थिक संकट) कई मसाइल ( समस्याओं) बिशमोल आलमी ( सांसारिक) मआशी (आर्थिक) सूरत-ए-हाल का नतीजा है।
जे डी यू और शिवसेना की ताईद से महरूम हो जाने के बाद बी जे पी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी की संगमा के लिए ताईद ( समर्थन) हासिल करने की कोशिश कर रही है।