* ममता बनर्जी के ड्रामाई मौक़िफ़ के बावजूद सत्तादार यू पी ए का बेहतर मौक़िफ़, अपोज़ीशन एन डी ए और दुसरे गोशों में राय तकसीम
नई दिल्ली । राष्ट्रपती दौड़ ने सारे सीयासी निज़ाम में पार्टियों और इत्तिहादों(गठबंधनों) को तकसिम कर दिया है, जिन्हें उम्मीदवार के तय करने के बारे में अपने मददगारों की तरफ से बग़ावत कि वजह से पेचीदा हालात का सामना होरहा है।सत्तादार यू पी ए को सब से ज़्यादा ड्रामाई हालात से गुज़रना पड़ा जबकि 8 साल पुरानी मददगार तृणमूल कांग्रेस ने इत्तिहाद के सरकारी उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को रद कर दिया और ए पी जे अबदुलकलाम की उम्मीदवारी कि ताईद की जिन्हों ने आख़िर कार चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया। कांग्रेस को अभितक ममता बनर्जी को अपने तय किये हुए उम्मीदवार के हक़ में वोट डालने के लिए राज़ी करने की उम्मीद है जैसा कि पश्वीमी बंगाल के ए आई सी सी इंचार्ज शकील अहमद ने एतिमाद ज़ाहिर किया कि ममता बनर्जी हमारी कीमती मददगार थीं, ममता बनर्जी हमारी कीमती हलीफ़ हैं और ममता बनर्जी हमारी कीमती हलीफ़ रहेंगी।
उन के रिमार्कस चंद रोज़ बाद सामने आए हैं जबकि पार्टी जनरल सेक्रेटरी डीग विजय सिंह ने ममता को सनकी और राष्ट्रपती चुनाव के मसले से निमटने में नापुख़्ता कार क़रार देते हुए तन्क़ीद(आलोचना) का निशाना बनाया था। समाजवादी पार्टी जो हुकूमत की बाहर से ताईद कर रही है, इस ने अपने मौक़िफ़ में पुर तजस्सुस तब्दीलियां कि और पहले ममता के साथ हाथ मिलाते हुए यू पी ए के तय किये हुए उम्मीदवार को रद किया और फिर मुखर्जी की ताईद करदी।
इस मामले में एन डी ए केम्प भी पीछे नहीं है और उसे भी इसी तरह की मुश्किलात का सामना होरहा है। बी जे पी के साथ साथ उस की सरपरस्त तंज़ीम आर एस एस में मुक़ाबला करने के विचार के बावजूद अहम मददगार शिवसेना ने प्रणब मुखर्जी के लिए अपनी ताईद का एलान कर दिया जबकि अपोज़ीशन इत्तिहाद(गठबंधन) की एक और शरीक प्रार्टी जे डी यू ने यू पी ए के तय किये हुए उम्मीदवार के लिए अपनी ताईद का एलान नही किया।
शिवसेना के इस एलान से बी जे पी को धक्का लगा है जो राष्ट्रपती चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने का मंसूबा बना रही है। शिवसेना के प्रमुख बाल ठाकरे ने प्रणब मुखर्जी को एक सही उम्मीदवार क़रार देते हुए राष्ट्रपति भवन के लिए फैनान्स मंत्री को तय करते हुए सारी दुनिया को हम सब एक हैं का पैग़ाम दिया जाना चाहीए।
बाल ठाकरे ने अपनी पार्टी के तर्जुमान अख़बार सामना में छपे एक सहाफ़ती ब्यान में कहा कि गुज़री बातें गुज़र चुकीं अब उन्हें भुल जाना चाहीए। अब हमें प्रणब मुखर्जी की मुत्तफ़िक़ा ताईद करने दीजिए ताकि दुनिया को ये दिखाया जाए कि हम सब एक हैं। मिस्टर प्रणब मुखर्जी ने कल बाल ठाकरे और उन के बेटे उद्धव ठाकरे से टेलीफ़ोन पर बातचीत करते हुए उन से ताईद करने की ख़ाहिश की थी। शिवसेना की तरफ से ताईद के फ़ैसले से यू पी ए उम्मीदवार की कामयाबी के इमकानात और जयादा रोशन होगए हैं क्योंकि इस पार्टी के 15 एमपी में से 11 एमपी शामिल हैं जबकि महाराष्ट्रा में इस के 46 असेंबली सदस्य और 7 क़ानूनसाज़ कौंसल के सदस्य हैं। यहां ये बात काबिल ए ज़िक्र है कि 2007 के राष्ट्रपती चुनाव में भी शिवसेना ने बी जे पी से संबंध खतम करते हुए यू पी ए उम्मीदवार प्रतिभा पाटल की ताईद की थी क्योंकि वो (पाटल) महाराष्ट्रा से ताल्लुक़ रखती हैं।
सोमवार को बी जे पी एम पी मेनका गांधी ने प्रणब मुखर्जी की ताईद करते हुए उन्हें इस ओहदे केलिए ज़बरदस्त उम्मीदवार क़रार दिया था, जबकि बी जे पी को अभितक कोई ठोस मौक़िफ़ इख़तियार करना है कि आया मुक़ाबला किया जाए या राष्ट्रपती चुनाव पर इत्तिफ़ाक़ राय हमवार किया जाए।
मेनका ने कहा कि राष्ट्रपती का इलेक्शन इत्तिफ़ाक़ राय से होना चाहीए। एन डी ए के एक मददगार लीडर ने पहचान छिपाए रखने की शर्त पर कहा कि राष्ट्रपती चुनाव के बारे में बी जे पी में दो राय हैं, एन डी ए में कई रायें पाई जाती हैं। जहां यू पी ए के मददगार शरद पवार मुखर्जी के लिए ताईद जुटा रहे हैं, वहीं उन की पार्टी लीडर पी एस संगमा राष्ट्रपती चुनाव के मैदान में कूद पड़े हैं।
बीजू जनता दल और ए आई ए डी एम के की ताईद से संगमा ने अभी तक पार्टी की तरफ से बरतरफ़ी की धमकी के बावजूद पीछे हटने से इनकार कर रखा है। एक दिलचस्प तबदीली में जनतादल।यू एम पी ने आज सदर पार्टी शरद यादव को खत लिखते हुए उन्हें तन्क़ीद (आलोचना)का निशाना बनाया कि उन्हों ने बी जे पी कि क़ियादत वाली नेशनल डेमोक्रेटिक अलाउंस की मीटिंग में राष्ट्रपती उम्मीदवार की हैसियत से उन का नाम तय नहीं किया ।
मुज़फ़्फ़र पुर के लोक सभा एम पी जय निरावन प्रसाद निशाद ने कहा , आप एन डी ए कन्वीनर हैं। एन डी ए मीटिंग में मेरा नाम तय ना करने से सिर्फ यही पैगाम मिलता है कि पसमांदा तबक़ा(बिछ्डे लोग) सिर्फ़ यादव बिरादरी में है। अगर कोई यादव उम्मीदवार होता तो एसा जरुर होता कि अब उस की उम्मीदवारी की ताईद किये होते। शरद यादव से उन के रद्द-ए-अमल के लिए संपर्क क़ायम ना होसका।