राष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाली खिलाड़ी,नौकरी के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के बैकुन्ठपुर जनपद पंचायत के सलेहापारा गांव की सुमित्रा बाई का जन्म ग़रीब परिवार में हुआ था | सुमित्रा बाई को बचपन से खेलकूद का शौक था| अपने इसी शौक की वजह से सुमित्रा बाई ने  राष्ट्रीय खेलों में देश का नाम किया |

हॉकी खिलाड़ी सुमित्रा बाई राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड, सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं | लेकिन राष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाली हॉकी खिलाड़ी सुमित्रा बाई इन दिनों नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है|

साल 2000 में गांव के पास एक हुए धार्मिक आयोजन में सुमित्रा ने अपने खेल का प्रदर्शन किया  था | जिसके बाद उसे ये धार्मिक संस्था अपने साथ हरियाणा लेकर चली गई |  सुमित्रा ने  इसी धार्मिक संस्था में रहकर पढ़ाई के साथ खेल-कूद में अच्छा करना शुरू कर दिया|

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सुमित्रा ने सात कांस्य पदक जीते हैं | इस मेधावी खिलाड़ी ने 27 राष्ट्रीय खेलों में 11 गोल्ड मेडल, पांच सिल्वर, और तीन कांस्य पदक जीते हैं |  फिलहाल वह इनलाईन हॉकी में कैप्टन भी है|  सुमित्रा अमेरिका, फ्रांस, ईटली, चीन जैसे देशों में भी खेल चुकी है| हॉकी के अलावा सुमित्रा ने दौड़ में भी गोल्ड मेडल जीते हैं |

सुमित्रा के मुताबिक़ उसके परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब है | इसलिए उसे एक नौकरी की जरूरत है| लेकिन खेलों में देश का नाम रोशन करने वाली ये खिलाड़ी सुमित्रा आज एक नौकरी के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है|