इलेक्शन से पहले हुकूमत आम जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। ज़्यादा मुम्किन है कि साल में हर कस्टमर को मिलने वाले सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की तादाद भी नौ से बढ़ाकर 12 कर दी जाए। सरकार इस पर संजीदगी से गौर कर रही है। पेट्रोलियम के वज़ीर वीरप्पा मोइली इस बारे में तेल कंपनियों के साथ सलाह व मश्वरा कर रहे हैं।
फायनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने जुमेरात को इस बारे में हुकूमत के इरादे को साफ कर दिये। जब उनसे पूछा गया कि क्या हुकूमत सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर का कोटा बढ़ाने पर गौर कर रही है तो उनका जबाव था, ‘हां, हुकूमत के पास ऐसे तजवीज आए हैं। हमारे कई वज़ीर ए आलाओं ने भी कोटे वाले सिलेंडरों की तादाद बढ़ाकर 12 करने की तजवीज पेश की है।
हुकूमत इस मुद्दे को देख रही है।’ इससे हुकूमत के ऊपर पड़ने वाले सब्सिडी बोझ के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। फयनेंस मिनिस्टर के मुताबिक सब्सिडी बोझ का अंदाज़ा अभी काफी आगे की बात है।
माना जा रहा है कि गैर सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत में एकमुश्त 220 रुपये के इज़ाफा से पैदा हुए सियासी बवाल के बाद हुकूमत कोटे के गैस सिलेंडर की बढ़ाने को लेकर फिक्रमंद है। जुमेरात के रोज़ पेट्रोलियम के वज़ीर मोइली और मुल्क की दिग्गज तेल कंपनी इंडियन ऑयल के चेयरमैन आरएस बुटोला के बीच काफी लंबी बातचीत भी हुई है।
अगर हुकूमत इस बात का फैसला करती है तो यह पहले से खस्ताहाल खजाने पर और चोट पहुंचाएगी। हर खानदान को तीन इजाफी सब्सिडी वाली रसोई गैस सिलेंडर देने का मतलब हुआ हुकूमत पर सालाना 6,000 करोड़ रुपये का इजाफीत बोझ। अभी सब्सिडी वाले एक सिलेंडर पर तेल कंपनियां 762 रुपये का नुक्सान उठा रही हैं। इसका आधा हिस्सा हुकूमत बतौर सब्सिडी उठाती है। चालू फायनेंशियल साल 2013-14 के दौरान मरकज़ी हुकूमत पर 40,000 करोड़ रुपये का एलपीजी सब्सिडी बोझ पड़ने का इम्कान है।
साल 2012 में सरकार ने सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के कोटे को घटाकर छह किया था, जिसे बाद में बढ़ाकर नौ कर दिया गया।