राहुल का दांव, गांधी बनाम मोदी लेकिन…

अहमदाबाद, 12 दिसंबर: लोकसभा इलेक्शन-2014 में कांग्रेस के राहुल गांधी इंतेखाबी मुहिम के आखिरी दिन गुजरात के इंतेखाबी मैदान में पहुंच ही गए। यूपी चुनाव में अपने गुस्से के वजह से मशहूर हुए राहुल ने इलेक्शन का शोर थमने से पहले तीन रैलियों से खिताब किया, लेकिन उनके तेवर गायब थे।

नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने इल्ज़ामों की झड़ी भी लगाई, लेकिन वैसा दमखम नहीं दिखा जो समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ होता था। सियासी जंग का रुख मोदी बनाम गांधी में तब्दील होने की उम्मीद भी पूरी नहीं हुई। राहुल ने हकीकत को भांपते हुए मौजूदा हालात‌ की जगह तारीख का दामन थामा और बवाल वाले सवाल छोड़ दिए।

मोदी के गुजरात को महात्मा गांधी के गुजरात की कसौटी पर तशखीस करने की कोशिश की और कांग्रेस को वोट देने की अपील तक किए बिना फैसला गुजरात की आवाम पर छोड़ दिया।

राहुल की तकरीर तीनों जलसों में कमोबेश एक ही थी। उन्होंने महात्मा गांधी का नेहरू खानदान से रिश्ता याद दिलाते हुए आजादी की लड़ाई में जवाहरलाल नेहरू के जेल जाने का किस्सा सुनाया। बताया, उस दौरान महात्मा गांधी इलाहाबाद पहुंचे, तो जमीन पर सोए। तर्क था, जवाहरलाल जेल में जमीन पर सो रहे हैं, तो वे कैसे गद्दे पर सो सकते हैं?

फिर बात आगे बढ़ाई, गांधी के बहाने जम्हूरियत‌, जमहूरी इदारों और इज़हार ए आजादी के मुद्दे उठाए और सवाल किए कि मौजूदा वज़ीर ए आला कितनी आजादी देते हैं। गुजरात में आम आदमी की नहीं, सिर्फ एक आदमी की सुनी जाती है। आवाम के ख्वाब उन‌के ख्वाब नहीं है, वह अपने ख्वाब पूरे करने में लगा है।

राहुल ने इसी बहाने इत्तेला के हुकूक में गुजरात में अटकीं 14 हजार से ज्यादा अर्जियों और लोकायुक्त की तैनाती न कर बदउनवान को बढ़ावा देने के इल्ज़ाम भी मोदी पर जड़ दिए। साथ ही साल भर में विधानसभा की महज 20-25 बैठकें होने और अपोजिशन को बाहर फेकवा देने का हवाला देते हुए मोदी की तानाशाही पर तंज कसे।

राहुल के इजलासो और इल्ज़ामों के बाद नरेंद्र मोदी कहां चूकने वाले थे? उन्होंने अपने इजलासो में न सिर्फ राहुल की लोकसभा में 85 में से महज 24 दिन की हाजिरी का डाटा पेश कर दिया, बल्कि राहुल को चुनौती भी दे डाली कि वे महात्मा गांधी की ख्वाहिश के मुताबिक कांग्रेस को भंग क्यों नहीं कर देते?

गांव वालो से हुई बातचीत में खुलासा हुआ कि वे राहुल गांधी को महज देखने के लिए आए हैं। गांव से जुटाए गए सामीन को हिंदी में दिया गया राहुल की तकरीर समझ ही नहीं आयी। हालांकि उनका कहना था, वे वोट कांग्रेस को ही देंगे।