चटगांव शहर में ‘क्रेजी आंटी’ के नाम मशहूर मोसम्मत जास्मीन पिछले पांच साल से रिक्शा चलाकर अपने तीन बच्चों को पाल रही है। 45 साल की जासमी बांग्लादेश की इकलौती महिला रिक्शा चालक हैं जो महिला सशक्तिकरण की जिन्दा मिसाल हैं। वह रोजाना आठ घंटे रिक्शा चलाती हैं। पूरे दिन रिक्शा चलाने के बाद 600 टका ( 500 रुपये) कमा लेती है। महिलाओं के बारे में अलग सोच रखने वाले लोगों की बातों पर वह ध्यान नहीं देती है। उनका कहना है कि अल्लाह ने मुझें दो हाथ और दो पैर दिए हैं तो काम करने में क्या हर्ज़। उसको तीन बेटे हैं।
वह बेटों को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिलाना चाहती है ताकि उनका भविष्य बेहतर हो। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले उनके पति ने दूसरी शादी कर ली थी जिसके बाद से तीन लड़कों के साथ अकेली रह गई थी। वैसे महिलाओं के लिहाज से बांग्लादेश को बेहद पिछड़ा माना जाता है। ऐसे समाज में जास्मीन बुलंद इरादों के दम पर रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि पति द्वारा दूसरी शादी कर लेने के बाद उसने घरों में काम करना शुरू किया, लेकिन इससे गुजर नहीं हो पा रहा था। इसके बाद कारखानों में भी काम किया लेकिन यहां लंबी ड्यूटी होने और पैसे कम मिलते थे। इसके बाद उसने अपने पड़ोसी का रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू किया। कई बार तो लोग उनके रिक्शे पर बैठने से भी डरते थे। कई ग्राहक तो दो चार बातें सुना जाते। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आज रोजाना आठ घंटे रिक्शा चलकर अपनी आजीविका चला रही हैं।
रिक्शा चलाने के दौरान वह अपनी सुरक्षा का भी ख्याल रखती हैं, इसलिए हेलमेंट पहनकर रिक्शा चलाती हैं। उनका कहना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। मेरे हाथ-पैर सही सलामत हैं तो मैं किसी के सामने क्यों हाथ फैलाऊं? वह अपनी जैसी दूसरी औरतों से कहना चाहती हैं कि हर महिला को समझना होगा कि जब तक वह डरती रहेंगी तब तक समाज उन्हें दबाता रहेगा।