केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा का इस्तीफा खारिज करते हुए उन्हें आखिरी दिन यानी एक दिन के लिए ऑफिस ज्वाइन करने को कहा है. गृह मंत्रालय ने वर्मा के सरकार की सेवा से मुक्त होने के अनुरोध को नामंजूर कर दिया है. साथ ही उन्हें कहा कि वो नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड (अग्निशमन सेवा) के महानिदेशक पद पर अंतिम दिन ही सही, दफ्तर ज्वाइन करें. वर्मा का सीबीआई प्रमुख के रूप में दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था. ऐसे में मंत्रालय के इस आदेश के मुताबिक वर्मा को गुरुवार को दफ्तर आना पड़ेगा.
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जिससे उन्हें राहत मिल सके, आर्थात उन्हें दफ्तर आना ही पड़ेगा. बशर्ते उन्होंने वीआरएस न लिया हो और छुट्टी के लिए आवेदन न किया हो. आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. वर्मा को 10 जनवरी हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की बैठक के बाद हटाया गया था.
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा मामले पर कटाक्ष किया है और केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर वर्मा को विशेष रूप से सीबीआई के लिए नियुक्त किया गया था तो वे दूसरा काम कैसे कर सकते हैं. सरकार ने गड़बड़ी की है और इसलिए अब वह फायर विभाग के डीजी के रूप में वर्मा को ज्वाइन करने के लिए कह रही है.
केंद्र सरकार ने इस पद से हटाए जाने के बाद वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड्स के महानिदेशक के रूप में नई जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन वर्मा ने नए पद का कार्यभार संभालने से इनकार करते हुए अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया था. वर्मा ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें वास्तविक रिटायरमेंट के दिन से ही रिटायर्ड माना जाए. बता दें कि 31 जुलाई, 2017 को ही आलोक वर्मा की सरकारी सेवा से रिटायरमेंट की उम्र पूरी हो गई थी. इसी दिन को वर्मा ने अपनी शिकायत में शामिल करते हुए कहा कि इसे ही उनका अंतिम दिन माना जाए.
2017 में वर्मा द्वारा अपनी सेवा का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद केंद्र द्वारा 31 जनवरी 2019 तक उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया गया था. वर्मा ने कार्मिक सचिव चंद्रमौली सी. को लिखे एक पत्र में कहा, ‘अधोहस्ताक्षरी पहले ही 31 जुलाई, 2017 को सेवानिवृत्त हो चुका था और सिर्फ सीबीआई निदेशक के तौर पर 31 जनवरी, 2019 तक सरकार की सेवा में रहने वाला था.’ उन्होंने कहा, ‘अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआई निदेशक नहीं है और वह अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड की सेवानिवृत्ति की उम्र पहले ही पार कर चुका है. इसके अनुसार, अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत्त समझा जाए.’
आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद से हटाने का फैसला तीन सदस्यीय एक उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा 2-1 के बहुमत से लिया गया था. बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति सीकरी और समिति के अन्य सदस्य के रूप में लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए, जिन्होंने बहुमत के फैसले का विरोध किया.
इससे पहले आलोक वर्मा को अनौपचारिक रूप से 23 अक्टूबर को ही सीबीआई प्रमुख पद से हटा दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनको फिर से बहाल कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकार चयन समिति के बगैर सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति की अवधि में परिवर्तन नहीं कर सकती.