रांची 4 जून : रिम्स के किचन का खाना खाकर आम शख्स भी बीमार बन सकता है। इन दिनों रिम्स से मरीजों को जो खाना मिल रहा है, वह खाने लायक नहीं है। यह इलज़ाम रिम्स में भर्ती कई मरीजों और उनके अहले खाना का है, जो यहां से खाना लेते हैं। खाना मुफ्त मिलता है, पर इसे लेना आसान नहीं है। उन्हें घंटों खड़े होकर लाइन लगनी पड़ी है। औसत यहां 1100 सौ मरीजों के लिए खाना बनता है। इसके लिए हुकूमत हर महीने रिम्स इंतेजामिया को 14 से 15 लाख रुपये देती है।
दाल के नाम पर सिर्फ पानी
रिम्स के किचन से तैयार दाल में सिर्फ पानी ही नजर आ रहा था। दाल के दाने गायब थे। जब खाना बांटनेवाले से पूछा गया कि दाल इतनी पतली क्यों है, तो उसका कहना था कि हमें जो बांटने के लिए दिया जाता है, वही बांट रहे हैं।
हरी सब्जी की जगह सिर्फ आलू
डॉक्टर अपने मशवरा में कहते हैं कि हरी सब्जी और फल अक्सरियत महज़ में इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन, रिम्स के किचन से तैयार हो रहे खाने में हरी सब्जी कहीं नजर नहीं आयी। आलू की सब्जी थी। वह भी अधपका था। आलू-परवल की सब्जी में परवल का कहीं नामोनिशान नहीं था।
चावल ऐसा, जिसे निगलना मुश्किल
मरीजों को दिया जा रहा चावल इतना मोटा था कि मरीजों को उसे खाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। भात अधपका था। इस सिलसिले में जब अहले खाना ने खाना बांटनेवाले से सवाल किया, तो वह भड़क गया। कहा, खाओगे तब न पता चलेगा।