चीफ़ मिनिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी ने एहसास ज़ाहिर करते हुए कि आख़िरी बाल के बोल्ड होने तक खेल ख़त्म नहीं होता कहा कि रियासत की तक़सीम का अमल पूरा करने से पहले अवाम की तशवीश को दूर करना ज़रूरी है।
अवाम के उठाए गए सवालात का जवाब दीएए बगै़र किसी फ़ैसले पर अमल करना मुश्किल होजाता है। राज्य सभा टेलीविज़न को इंटरव्यू देते हुए किरण कुमार रेड्डी ने इस बात की निशानदेही की कांग्रेस पार्टी को मयादा से ज़्यादा हस्सास होने की ज़रूरत है।
उसे ये मालूम करना ज़रूरी हैके अवाम क्या चाहते हैं। रियासत की तक़सीम का फ़ैसला पार्टी की तरफ से किया गया है इस के लिए दस्तूरी अमल पर अमल किया जाना चाहीए।
इस अमल की राह में बेशुमार एहितेजाजी रुकावटें खड़ी होरही है।लिहाज़ा फ़ैसले पर अमल करने से पहले तमाम उमूर का जायज़ा लिया जाये।
अब वक़्त आगया हैकि एक ख़ास फ़ैसले किया जाये क्यूंकि रियासत की तक़सीम के ख़िलाफ़ अवाम की तरफ् से संजीदा मुज़ाहमत की जा रही है सियासतदां भी सरापा एहतेजाज हैं। इस मसले से किस तरह निमटा जा सकता है इस पर ग़ौर करना पार्टी के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि किसी भी सयासी मजबूरीयों से ज़्यादा रियासत एहमीयत रखती है। अवाम की तशवीश भी सब से एहमीयत रखती है। उनकी तशवीश पार्टी या इसके नज़रियात से बाला-ए-तर है।
पार्टी को अवाम की मर्ज़ी के मुताबिक़ ही काम करना चाहीए ये हमारा फ़र्ज़ हैके हम अवाम के सवाल का जवाब दें। ये पूछे जाने पर कि आया वो पार्टी के फ़ैसले से रुगिरदानी कररहे हैं।
चीफ़ मिनिस्टर ने ब्रहमी में जवाब दिया कि ये रुगिरदानी का सवाल ही पैदा नहीं होता लेकिन जब लाखों अवाम को तशवीश लाहक़ होती है तो एक रियासत के चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से उनकी ज़िम्मेदारी में इज़ाफ़ा होजाता हैके अवाम को वो हर मुम्किना तौर पर मुतमइन कराईं।