हैदराबाद 24 अप्रैल: साबिक़ आई ए एस ओहदेदार के रमना चारी के टी आर एस में शामिल होने के बाद रियासत में कई आई ए एस और आई पी एस ओहदेदारों , ब्यूरोक्रेटस की सयासी क़िसमत आज़माई का महाज़ खुल गया है।
ये ओहदेदार मुख़्तलिफ़ सयासी पार्टीयों में क़िसमत आज़माई की कोशिश कररहे हैं। जो आई पी एस और आई ए एस ओहदेदार नज़म-ओ-नसक़ में अपना दबदबा और ग़लबा रखते थे , एसा सियासत में होना मुश्किल है।
वज़ारत के बिशमोल आला सयासी ओहदे हासिल करने में आई पी एस और आई ए एस ओहदेदार एक दूसरे पर सबक़त ले जाने की कोशिश कररहे हैं।
साबिक़ में दो आई पी एस ओहदेदारों ने वुज़रा की हैसियत से ख़िदमत अंजाम दी थी लेकिन एक भी आई ए एस ओहदेदार को वज़ीर बनने का मौक़ा नहीं मिला।
रिटायर्ड डी जी पी पी वि रनगया नायडू 1991 में लोक सभा हलक़ा खम्मम से कांग्रेस टिकट पर मुंतख़ब हुए। उन्हों ने 1991 ता 1996 नरसिम्हा राव हुकूमत में का बीनी वज़ीर की हैसियत से ख़िदमत अंजाम दी। रियासत में तेलुगू देशम के दौर में दो आई पी एस ओहदेदारों के वजए रामा राव और आर सीता रामा राव को अहम ओहदे मिले थे।
हाल ही में रिटायर्ड डी जी पी पी रामलो ने टी आर एस से स्तीफ़ा दे कर तेलुगू देशम में शमूलीयत इख़तियार की है। दीगर कई ओहदेदार भी सियासत में अपनी क़िस्मत आज़माने की कोशिश कररहे हैं।