रियासत आंध्र प्रदेश में बेरोज़गार ग्रैजूएट नौजवानों की शरह क़ौमी सतह पर मौजूद बेरोज़गार ग्रैजूएट की शरह से हद से बढ चुकी है।
हुकूमत आंध्र प्रदेश की सकीमात और बैन-उल-अक़वामी कंपनीयों को दी जाने वाली साहुलत के बावजूद तालीम याफ़ता बेरोज़गारों की बढ़ती शरह मुआशरे के लिए तशवीश का बाइस बनी हुई है चूँकि बेरोज़गारी की शरह में इज़ाफ़ा जराइम में इज़ाफे का सबब बनता है जबकि तालीम याफ़ता बेरोज़गारों की शरह में होने वाला इज़ाफ़ा जराइम के अलावा साइबर जराइम में इज़ाफे का सबब बन सकता है ।
हालिया मंज़रे आम पर आए एक सरकारी सर्वे के मुताबिक़ आंध्र प्रदेश में हर तीसरा ग्रैजूएट नौजवान बेरोज़गार है और रोज़गार की तलाश में सरगरदां है।
सर्वे के मुताबिक़ रियासत में रोज़गार के मुतलाशी बेरोज़गारों का फ़ीसद 33.7 तक पहुंच चुका है जबकि क़ौमी सतह पर 18 ता 29 साल के बेरोज़गार ग्रैजूएट नौजवानों का फ़ीसद 31.7 है।
माहिरीन का कहना है कि तालीमी इदारों और सनअती इदारों के दरमयान अवाम ताल मेल के बाइस ये सूरते हाल पैदा हुई है और इस सूरते हाल को फ़ौरी तौर पर ख़त्म करने के इक़दामात नागुज़ीर हैं।
सनअती इदारों और तालीमी इदारों के दरमयान मौजूद इस अदम ताल मेल के रुजहान को ख़त्म करने के लिए ग्रैजूएट सतह पर रोज़गार के मवाक़े फ़राहम करने के लिए तालीमी इदारों से राबिता क़ायम किए जाने की ज़रूरत है। ग्रैजूएट के बाद आला तालीम प्रोफेशनल कोर्सेस की तालीम के हुसूल और इन में महारत हासिल करने के रुजहान में होरहे इज़ाफे के बाइस ग्रैजूएट तलबा पर तवज्जा मर्कूज़ नहीं की जा रही है जबकि ग्रैजूएट तलबा को रोज़गार के मवाक़े फ़राहम करने से ना सिर्फ़ मईशत को इस्तेहकाम मिलेगा बल्कि वो दौराने मुलाज़िमत भी आला तालीम हासिल करपाऐंगे और साथ ही साथ सनअती इदारों के इक़तिसादी उमोर पर भी नुमायां फ़र्क़ नज़र आने लगेगा।