रियासत में सदर राज का इमकान

रियासत में चीफ़ मिनिस्टर के ओहदे से एन किरण कुमार रेड्डी की तरफ से स्तीफ़ा देने और गवर्नर की तरफ से मकतूब स्तीफ़ा मंज़ूर कर लेने के बाद आंध्र प्रदेश में सदर राज के नफ़ाज़ का क़वी इमकान पाया जाता है।

जबकि कई एक सियासी मुबस्सिरीन के मुताबिक़ भी सदर राज के नफ़ाज़ की पेश क़ियासी की जा रही है क्युंकि कारगुज़ार चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से बरक़रार रहने की ख़ाहिश पर एन किरण कुमार रेड्डी के इनकार किए जाने के बाद किसी नए चीफ़ मिनिस्टर का इंतिख़ाब करना या सदर राज का नफ़ाज़ अज़ हद ज़रूरी होजाता है।

लेकिन नए चीफ़ मिनिस्टर का इंतिख़ाब करना कांग्रेस मुक़न्निना पार्टी के लिए मौजूदा हालात में हरगिज़ मुम्किन नहीं है क्युंकि इत्तिफ़ाक़ राय का हुसूल बहुत ही पेचीदा मसला साबित होगा और अगर किसी को चीफ़ मिनिस्टर मुंतख़ब किया जाये तो वो आइन्दा एवान ( असेंबली ) में एतेमाद का वोट हासिल नहीं करपाऐंगे।

कांग्रेस पार्टी ज़राए के मुताबिक़ बताया जाता हैके इलाक़ा वारी असास पर अरकाने असेंबली मुनक़सिम होचुके हैं जिस की वजह से किसी को क़ाइद कांग्रेस मुक़न्निना पार्टी ( चीफ़ मिनिस्टर ओहदे पर ) मुंतख़ब करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है।

लिहाज़ा इस सूरते हाल के पेशे नज़र हुकूमत की तशकील या सदर राज का नफ़ाज़ अमल में लाने की सिफ़ारिश करने के मसले पर कांग्रेस पार्टी और मर्कज़ी हुकूमत परेशानकुन सूरते हाल से दो-चार दिखाई दे रही है।

खास्कर चीफ़ मिनिस्टर के साथ बाज़ रियासती वुज़रा ( सीमांध्र ) अरकाने असेंबली की पार्टी से दूरी इख़तियार करना यक़ीनी है। इन हालात का अंदाज़ा लगाते हुए रियासत में सदर राज नाफ़िज़ करने को ही बेहतर तसव्वुर किया जा रहा है इसी दौरान बताया जाता है कि सदर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मिस्टर बी सत्य नाराय‌ना से ( जो मुत्तहदा आंध्र के कट्टर हामी हैं) कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने रब्त पैदा करते हुए किरण कुमार रेड्डी की आइन्दा हिक्मते अमली और लायेहा-ए-अमल के ताल्लुक़ से वाक़फ़ीयत हासिल की और बताया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी सियासी मस्लिहत के साथ पहल करने की सदर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से ख़ाहिश की है।

इसी दौरान रियासत में सदर राज की पेश क़ियासयों के ताल्लुक़ से बताया जाता है कि रियासत आंध्र प्रदेश में साबिक़ अर्सा में 11जनवरी 1973 ता 10 दिसमबर 1973 तक सदर राज का नफ़ाज़ अमल में लाया गया था, इसवक़्त के चीफ़ मिनिस्टर पीवी नरसिम्हा राव‌ की ज़ेर क़ियादत रियासती हुकूमत को बरतरफ़ करके सदर राज नाफ़िज़ किया गया था।

जबकि चीफ़ मिनिस्टर एन टी रामा राव‌ को भी साल 1985 में ओहदे से ज़बरदसती हटादीए जाने के मौके पर पैदा शूदा बोहरान से भी सियासी नौईयत से ही यकसूई के लिए इक़दामात किए गए थे।

लेकिन किरण कुमार रेड्डी चीफ़ मिनिस्टर ओहदे से मुस्ताफ़ी होजाना कोई ताज्जुब की बात नहीं है क्युंकि आइन्दा दो ता तीन माह में ही आम चुनाव रियासत में मुनाक़िद होने वाले हैं।

लिहाज़ा इन हालात में किसी भी इलाके के क़ाइद को चीफ़ मिनिस्टर बनाया जाये तो दूसरे इलाके वाले उस चीफ़ मिनिस्टर को क़बूल करने के लिए तैयार नहीं होंगे।

सियासी मुबस्सिरीन की राय के मुताबिक़ बताया जाता हैके चुनाव का अमल रियासत में ( तेलंगाना-ओ-सीमांध्र में ) मुकम्मिल होने तक सदर राज का नफ़ाज़ बरक़रार रखना ही बेहतर इक़दाम होसकता है।

क्युंकि सदर राज में ही चुनाव का पुरअमन इनइक़ाद अमल में लाया जा सकता है और चुनाव मुकम्मिल होने के साथ ही हुकूमत की तशकील अक्सरीयत की बुनियाद पर दोनों रियासतों यानी तेलंगाना रियासत और सीमांध्र रियासत में अमल में लाई जा सके।

इन तमाम हालात की रोशनी में मर्कज़ी हुकूमत और कांग्रेस हाईकमान सूरते हाल का तफ़सीली जायज़ा लेने की इत्तेलाआत पाई जाती हैं और रात देर गए तक भी इस सिलसिले में कोई फ़ैसला नहीं किया जा सका।

ताहम दिल्ली से मौसूला इत्तेलाआत की रोशनी में 20 फ़बरोरी को सुबह में मर्कज़ी काबीना की अहम मीटिंग तलब किया गया है। तवक़्क़ो हैके मर्कज़ी काबीना के इस मीटिंग में रियासत आंध्र प्रदेश में इख़तियार की जाने वाली हिक्मत-ए-अमली के ताल्लुक़ से कोई क़तई फ़ैसला किया जाएगा।