रियास्ती वज़ीर नसीम उद्दीन सिद्दीक़ी को मायावती हुकूमत आख़िर क्यों बचा रही है?

उत्तर प्रदेश के वज़ीर-ए-आला मायावती के मोतमिद ख़ास कहे जाने वाले रियास्ती वज़ीर नसीम उद्दीन सिद्दीक़ी और उनके कुन्बे के ख़िलाफ़ आमदनी से कहीं ज़्यादा असासा, इमलाक जमा करने, सरकारी अराज़ी पर क़ब्ज़े वग़ैरा के मुआमलात की सी बी आई से और इंफोर्स्मेंट डायरेक्टोरेट(directorate) से जांच कराने की उत्तर प्रदेश लोक आयुक़्त मिस्टर जस्टिस एन के महरोत्रा की सिफ़ारिश को रियास्ती हुकूमत के मानने से इनकार करने पर रियासत के सयासी हलक़ों ने अपने सख़्त रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है और वज़ीर-ए-आला मायावती पर इल्ज़ाम लगाया है कि वो रियास्ती वज़ीर नसीम उद्दीन सिद्दीक़ी को तमाम क़वाइद-ओ-ज़वाबत, अख़लाक़ी इक़दार-ओ-रवायात को नजर अंदाज़ करके उन को बचा रही हैं। रियास्ती हुकूमत के इस क़दम से एक नई रिवायत पड़ी है।

हिज़्ब-ए-मुखालिफ़ जमातों कांग्रेस, बी जे पी, समाजवादी पार्टी के तर्जुमानों ने अपने अलग अलग बयानों में कहा कि बदउनवानीयों और बे ईमानियों से बुरी तरह से जकड़े नसीम उद्दीन सिद्दीक़ी को मायावती ने ना अपनी वज़ारती कौंसल से हटाया और ना उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की। उल्टे रियास्ती हुकूमत ने लोक आयुक़्त की सिफ़ारिश को मानने से इनकार कर दिया और नसीम उद्दीन सिद्दीक़ी को बचाने के लिए रियास्ती हुकूमत ने क़ानूनी लड़ाई लड़ने का भी इंदिया ( खबर) दिया है।