रियास्ती वुज़रा की बदउनवानी

रियास्ती हुकूमत में बदउनवानीयों की निशानदेही करने वाले वज़ीर टेक्सटाइल डाक्टर पी शंकर राव ने वज़ीर-ए-दाख़िला मिस सबीता इंदिरा रेड्डी और वज़ीर एक्साइज़ ऐम वेंकट रामना के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात आइद किए थे कि ओहदेदारों के तबादलों के मुआमले में बड़े पैमाना पर रिश्वत हासिल की गई है जिस की तहक़ीक़ात करवाई जाएं। आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट ने हुक्मराँ कांग्रेस पार्टी के दो वुज़रा के ख़िलाफ़ सी बी आई तहक़ीक़ात का हुक्म दिया। हाईकोर्ट जस्टिस ईल नरसिम्हा रेड्डी ने अपने ही साथी वुज़रा के ख़िलाफ़ आइद करदा शंकर राव के इल्ज़ामात को काबिल-ए-दस्त जुर्म मुतसव्वर करने के बाद ये तहक़ीक़ात सी बी आई के ज़रीया करवाने की हिदायत दी। रियास्ती काबीना के बद उनवान वुज़रा की फ़हरिस्त का पता चलाया जाय तो मज़ीद कई चेहरे बेनकाब होसकते हैं। वज़ीर टेक्सटाइल पी शनकरराव अपनी मुनफ़रिद पहचान और दयानतदाराना तर्ज़-ए-ज़िदंगी के लिए मक़बूल हैं उन की बेबाकी और अवामी ख़िदमत के तईं उन के जज़बा की हर कोई क़दर करता है लेकिन उन पर भी रिश्वत लेने के इल्ज़ामात हैं। जब सरकारी निज़ाम का एक हिस्सा बेहतरी का मुज़ाहरा करे तो सारा निज़ाम ख़ुदबख़ुद अच्छाई की सिम्त चलने की सद फ़ीसद तवक़्क़ो नहीं की जा सकती अलबत्ता कुछ ना कुछ तबदीलीयां रौनुमा होती हैं। रियास्ती हुक्मराँ पार्टी के पास दयानतदार और समझदार क़ाइदीन से ज़्यादा उन लोगों की क़दर है जो अपने हलक़ों पर तवज्जा देने के बजाय ज़ाती मफ़ादात की फ़िक्र रखते हैं। वज़ारत-ए-दाख़िला और वज़ारत एक्साइज़ के क़लमदान निहायत ही एहमीयत के हामिल हैं इन का रास्त ताल्लुक़ ला ऐंड आर्डर और शराब की नाजायज़ तिजारत की रोक थाम से होता है मगर दोनों वुज़रा रुतों की ज़िम्मेदारी अदा करने वाले वुज़रा पर रिश्वत के इल्ज़ामात आइद हूँ तो उन महिकमों की कारकर्दगी से मुताल्लिक़ अवाम को शुबहात होना ज़रूरी है। इस हुकूमत के चीफ़ मिनिस्टर को अपने भोले भाले इमेज का मुज़ाहरा करने की फ़ुर्सत नहीं है ज़ाहिर है कि वो इस दुनिया में या सकरीटरीट में रहते हैं जहां बद उनवान वुज़रा वज़ीर-ए-दाख़िला और वज़ीर एक्साइज़ के दफ़ातिर भी हैं। चीफ़ मिनिस्टर को अपने पहलू में होने वाली रिश्वतखोरी का इलम ना हो ये नाक़ाबिल-ए-यक़ीन है। इंसिदाद रिश्वत सतानी का काम अंजाम देने वाले ओहदेदारों ने अब तक सरकारी महिकमों के बदउनवानीयों में मुलव्वस कई ऑफीसरस को रंगे हाथों पकड़ा है मगर जब मुआमला आला सतह का होता है तो इस पर हर कोई चुप इख़तियार कर लेता है। ऐसा हरगिज़ नहीं है कि रियासत के महिकमा इंसिदाद रिश्वत सतानी के ओहदेदार नालायक़ हैं बल्कि वो सयासी दबाव का शिकार होते हैं इस लिए उन के हाथ सिर्फ उन तक पहूंचते हैं जिन के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का हुक्म मिलता है या वो इन ओहदेदारों को शक के दायरा में भी जाना है जो उन्हें ख़ुश करने के हुनर से नावाक़िफ़ होता है । रिश्वत की लानत सरकारी महिकमों की एक मुशतर्का बीमारी है। बदउनवानीयाँ होती हैं तो इस को रोक थाम करनेवाली एजैंसीयां भी ऐसी ही रिपोर्टस तैय्यार करती हैं जो बदउनवानी का शिकार वुज़रा की बंद मुट्ठी के भ्रम पर मुनहसिर होती हैं। रियासत आंधरा प्रदेश को इस वक़्त हुक्मराँ कांग्रेस ने एक दो राहे पर लाखड़ा करदिया है। तिलंगाना के बाअज़ बाहम पैवस्ता बोहरानों ने रियासत की हुक्मरानी, आम ज़िंदगी, सरकारी काम काज को ठप करदिया है दूसरी तरफ़ सरकारी इदारों और वुज़रा की सतह पर बदउनवानीयों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा होचुका है। आज यहां का सरकारी निज़ाम जिस अबतरी का शिकार है और दीगर तरक़्क़ी करनेवाली रियास्तों की निसबत आंधरा प्रदेश बहुत पीछे चला गया, तलगोदीशम दौर-ए-हकूमत में आंधरा प्रदेश कुमलक के नक़्शा में नुमायां मुक़ाम हासिल होने का एतराफ़ किया जा चुका है मगर कांग्रेस ने अपनी बद उनवान सोच के ज़रीया सयासी अहदो पैमा को फ़ुक़दान से दो-चार करदिया। क़ौमी सतह पर रिश्वतखोरी के भयानक वाक़ियात में महसूर कांग्रेस से ये तवक़्क़ो किस तरह की जा सकती है कि इस की रियास्ती हुकूमतें पाक दामन होंगी। अपनी बदउनवानीयों की आरामगाह में सौ रही कांग्रेस ने आंधरा प्रदेश ख़ासकर इलाक़ा तलंगाना को बदअमनी की आग में झोंकने की ग़लती की है। चुनांचे रियास्ती काबीना के दो वुज़रा के ख़िलाफ़ बदउनवानीयों की सी बी आई के हुक्म के बाद हुकूमत या हुक्मराँ जमात को अख़लाक़ी तौर पर अपने कामों का जायज़ा लेने की ज़रूरत है। हुकूमत का काम सिर्फ अपने मुफ़ादात की तिजारत करना नहीं होता। उसे अवामी ज़िंदगी और उन की ख़िदमत करने वाले सरकारी इदारों की कारकर्दगी पर कड़ी नज़र रखनी होती है। महिकमा पुलिस और एक्साइज़ मैं ओहदेदारों के तबादलों के लिए रिश्वत का वसूल इस बात की निशानदेही करता है कि हुकूमत के ज़िम्मा दारा वुज़रा ख़राब और बद उनवान ओहदेदारों को मर्ज़ी के मुताबिक़ तबादले कराने के लिए रिश्वत हासिल की यानी रिश्वत के ज़रीया रिश्वत को फ़रोग़ दिया गया। ऐसे वाक़िआत एक बेहतर निज़ाम वज़ा करने में मुआविन साबित नहीं होसकती। वज़ीर टकसटाइल पी शंकर राॶ ने अपने अतराफ़ होने वाली ख़राबी पर एहतिजाज किया और बद उनवान वुज़रा को बेनकाब करने की कामयाब कोशिश की इन की इस साफगोई से सरकारी महिकमा का हर ओहदेदार अपने फ़राइज़ के ताल्लुक़ से चौकसी बेहतरीन मुज़ाहरा है लेकिन उन पर भी रिश्वत के इल्ज़ामात गुमराह कुन मुहिम का हिस्सा होसकते हैं। रियासत की तरक़्क़ी और एक अच्छी हुक्मरानी का राज़ क़ानून की अमल आवरी और सरकारी महिकमों की दियानतदारी से मशरूत ही। अगर वज़ारती सतह पर ही बदउनवानीयों का राज होतो फिर ब्यूरोक्रेसी और ओहदेदार या कोई चपरासी भी हुकूमत को अपने हाथों का खिलौना बना लेने में कामयाब हो जाएगा