रियास्ती हुकूमत और अपोज़ीशन की ज़िम्मेदारी

रियास्ती असेंबली में अपनी बाज़ीगरी दिखाने की तैयारी करने वाले सियासतदानों को अवाम के लिए तैयार कर्दा बजट बराए 2012-13 से कितने मसाइल पैदा होंगे और कितनी राहतें मिलेंगी इस पर ध्यान देने की फ़िक्र लाहक़ मालूम नहीं होती। अपोज़ीशन टी आर एस ने गवर्नर के ख़ुत्बा का जवाब तलाश कर लिया है।

तेलगुदेशम को अपनी सयासी बसीरत के मुताबिक़ मोर्चा बंद होना है तो दीगर पार्टीयां हुकूमत का ही दुम छल्ला बन कर बजट पर बग़लें बजाएंगे। हुकूमत और इस से वाबस्ता अरकान को आपसी इंतिशार की कैफ़ीयत का सामना है। कल से शुरू होने वाला रियास्ती असेंबली बजट अगर हंगामाख़ेज़ हो तो इस में कई ख़राबियों और बदउनवानीयों को उठाया जाएगा।

हुकूमत से सवाल किया जाएगा कि आमार प्रापर्टीज़  के मुआमला में इस का मौक़िफ़ किया है। शराब माफ़िया के बढ़ते अज़ाइम और हुक्मराँ कांग्रेस के अरकान की शराब माफ़िया से दोस्ती लेन देन के साथ ब्यूरोक्रेट्स की बड़े पैमाना पर मामूल की वसूली का मसला भी असैंबली में छा जाए तो ऐवान असेंबली शराब की बू से आलूदा हो जाएगी।

इस से हुक्मराँ जमात के अरकान को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्योंकि इन के हाथ और रूह दोनों शराब माफ़िया की मरहून-ए-मिन्नत हैं। असल मसला अवाम के लिए पेश किए जाने वाले बजट और इस पर मुबाहिस का है। जब ऐवान बदउनवानीयों की बेहिसाब ख़राबियों पर ही तो तो मैं में की नज़र होगा तो बजट के रमूज़-ओ-नकात पर तवज्जा किस को देना है।

इस वक़्त हुक्मराँ पार्टी के सियासतदानों पर नज़र दौड़ाई जाय तो उन में ज़्यादा तर दौलत के पुजारी, बद उनवान, रिश्वत ख़ोरों की टोली नज़र आएगी। कुछ क़ाइदीन इक़तिदार नशीन की फ़िक्र में का बीनी तौसीअ से महरूमी का वरद और दुख लिए सरकारी बंचों पर बैठेंगे और उन के दिलों में अपनी ही हुकूमत और चीफ़ मिनिस्टर के बुग़ज़-ओ-मुख़ासमत फ़रोग़ पाती दिखाई देगी।

इक़्तीदार और वज़ारत की आरज़ूओं में वो घुटन महसूस कर रहे हैं। जहां तक चीफ़ मिनिस्टर और स्पीकर असेंबली की हुनर गैरी का चर्चा है ये दोनों ऐवान में अपने साथी अरकान और अपोज़ीशन से निमटने में कामयाब होने की कोशिश करेंगे। ऐवान में बाअज़ अरकान की मिज़ाज ऐसी भी है कि वो शराब को तो बुरा भला कहीं लेकिन इस से आने वाली आमदनी से मसरूर होते हैं।

जबकि असेंबली के हर रुकन पर ये लाज़िम होता है कि वो किसी अवामी मसला पर खुल कर दिफ़ा करे और बहस में हिस्सा ले। किसी भी रुकन असेंबली को चाहीए कि ज़ाती मुफ़ाद से हट कर अवामी मसला पर लाज़िमी बहस करे लेकिन रियास्ती असेंबली में अरकान को ज़ाती मुफ़ादात पर ही तवज्जा करते हुए देखा जाता है।

13 फ़बरोरी को गवर्नर ई एस एल नरसिम्हन के ख़ुत्बा के बाद मुबाहिस और बजट का मसला अहम होता है। टी आर एस ने अलैहदा रियासत तेलंगाना की तशकील में ताख़ीर के ख़िलाफ़ एहतिजाज करते हुए लीजसलीटीव असैंबली (legislative assembly  ) के मुशतर्का सेशन में गवर्नर के ख़ुत्बा को रोकने का तहय्या कर लिया है।

ऐवान असेंबली से अवामी मसाइल को उठाना अरकान का फ़र्ज़ होता है। रियासत तेलंगाना के क़ियाम के मसला पर मर्कज़ के रवैय्या ने यहां के तबक़ा को मायूस कर दिया है। अलैहदा रियासत तेलंगाना के लिए रियास्ती असेंबली में एक क़रारदाद की मंज़ूरी भी लाज़िमी अंसर ( मददगार) है। टी आर ऐस और तेलंगाना के हामी अरकान इस मसला पर ऐवान की कार्रवाई में भी ख़लल पैदा करने का मंसूबा बनाया है।

अगर तेलंगाना में कोई मजाज़ अथॉरीटी अवामी नुमाइंदा बन कर मसला उठाना चाहती है तो इस के लिए ज़रूरी है कि वो ग़ैर जांबदार रहे। मुशतर्का तौर पर जद्द-ओ-जहद को जो तक़वियत ( मज़बूती) मिलती है वो इन्फ़िरादी कोशिशों से बहुत कम उमीद की जाती है। इलाक़ाई मसाइल और मर्कज़ी मौक़िफ़ के दरमयान टी आर एस और दीगर मुवाफ़िक़ तेलंगाना क़ाइदीन को बहुत से मसाइल का सामना है।

इलाक़ाई मसाइल को नुक़्सान पहूँचाने वालों में कौन सरगर्म है और किस को ज़िम्मेदार ठहराया जाए ये अलग बेहस है। इस वक़्त रियास्ती असेंबली का बजट सेशन अपने तौर पर एहमीयत का हामिल है जिस में अवाम के बुनियादी मसाइल पर तवज्जा देने और उन की यकसूई के लिए हुकूमत पर ज़ोर देना है। शराब माफ़िया, बदउनवानीयाँ, आमार प्रापर्टीज़, गै़रक़ानूनी कानकनी के ज़रीया रियास्ती ख़ज़ाना को होने वाले नुक़्सानात पर तवज्जा दी जानी चाहीए।

शहरी मसाइल में दिन ब दिन इज़ाफ़ा हो रहा है। सरकारी दवा ख़ानों की हालत अबतर है। जूनियर डाक्टरों की हड़ताल ने सूरत-ए-हाल को नाज़ुक बना दिया है। बर्क़ी का मसला तवज्जा चाहता है। दोनों शहरों हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद में सड़कों की मुरम्मत, ट्रैफ़िक के बढ़ते बेहंगम मसाइल, बलदिया के बजट और इस के कामों में पाई जाने वाली ख़राबियों के इलावा हैदराबाद के इलाक़ा पुराने शहर में शहरीयों को ग़ैर मयारी बलदी माहौल, पानी की सरबराही में कमी के मसाइल पर तवज्जा देना ज़रूरी है। पुराने शहर में सूरत-ए-हाल पर तवज्जा देने का दावा करने वाले क़ाइदीन को ऐवान में हुकूमत का साथ देते हुए देखा जाय तो अवामी मसाइल जूं के तूं रहेंगे।

ये लोग इस बात पर ग़ौर करने की ज़रूरत महसूस नहीं करते कि अवाम ने उन्हें वोट दे कर मुंतख़ब किया है और उन का फ़र्ज़ है कि वो अपने राय दहिंदों के बुनियादी मसाइल की यकसूई करे। रियासत में ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही के इलावा ओक़ाफ़ी जायदादों पर तामीर करदा मसाजिद की मसमारी का मसला अहम है। मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के कामों का आग़ाज़ और इस से मुतास्सिर होने वाले ब्यापारियों के मसाइल पर हुकूमत को तर्जीह तौर पर तवज्जा देनी है। महनगामी के मुआमला में हुक्मराँ तबक़ा ने अपनी ज़िम्मेदारीयों को फ़रामोश कर दिया है।

रईतू बाज़ारों में तरकारी की क़ीमतें हर घंटे के हिसाब से बढ़ती रहती हैं। महंगाई ने आम आदमी के मुस्तक़बिल के बारे में बे यक़ीनी की कैफ़ीयत पैदा कर दी है। ये सूरत-ए-हाल पूरे मुआशरे के लिए बड़ी तशवीशनाक है। हुकूमत और अपोज़ीशन को ऐवान के बजट सेशन में ख़ासी अवामी मसाइल और महंगाई पर तवज्जा देना होगा।