रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ को रियायत की तरदीद

गोदावरी तास के D6 ब्लॉक की तख़सीस में मुआमलत के इल्ज़ामात यकसर मुस्तर्द करदिए और कहा कि खुले तौर पर बैन-उल-अक़वामी हराज किया गया था जिस में रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ को कामयाबी मिली और ईसी असास पर तख़सीस अमल में आई। इस मुआमले में नामज़दगी की असास पर तख़सीस नहीं की गई।

वज़ारत पैट्रोलीयम के एक ओहदेदार ने कहा कि रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ ने हराज में काफ़ी बेहतर , कमर्शियल और टेकनीकल बोली दी जो दीगर इदारों बिशमोल ओ एन जी सी । गेल और किरन अनर्जी से भी काफ़ी मोस्सर थीं।

हुकूमत ने 1999 में कृष्णा । गोदावरी D6 और 23 दीगर ब्लॉक्स के लिए नई लाईसैंस पोलिसी के तहत इंटरनैशनल ओपन टनडर तलब किए। ये पोलिसी तक़रीबन साल की अवामी मुशावरत और सख़्त मेहनत के बाद इख़तियार की गई है।

रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ ने दीगर बोली दहिंदों के मुक़ाबले में मसह बिकती और काफ़ी बेहतर पेशकश की चुनांचे ये ब्लॉक उसे ही मुख़तस किया गया ।

कल इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने ये इल्ज़ाम लगाया था कि यू पी ए और पेशरू एन डी ए हुकूमतों ने इस कोंट्टरएक्ट के मामले में रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ को रियायत दी जिस से सरकारी खज़ाने को भारी घाटा हुआ।