मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में कहा है कि सिर्फ अपने कायदे-क़ानूनों का हवाला देकर मुस्लिम मआशरा अपनी लड़कियों की जल्दी शादी नहीं कर सकता.
कोर्ट ने यह फैसला एक मुस्लिम खानदान की तरफ से दायर मुकदमे के सिलसिले में दिया. मुस्लिम खानदान ने अपने मुकदमे में कहा था कि कानूनी अड़चनों की वजह से वह अपनी 15 साल की बेटी की शादी नहीं कर पा रहे हैं.
जस्टिस सी.टी. सेल्वम ने अपने हुक्म में कहा कि अगर लोग अपने रिवाजों का हवाला देकर लड़कियों की शादी जल्दी करने लगे तो यह प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरेज ऐक्ट 2006 के खिलाफ होगा. साथ ही इससे बाल विवाह की बुराई खत्म नहीं होगी. लड़कियों की सेहत और उनकी हालत सुधारना मुश्किल होगा.’
वहीं इस बारे में एक मुफाद ए आम्मा की दरखास्त भी दायर की गई है. दरखास्त में दावा किया गया है कि सरकारी कानून मुस्लिम लड़कियों की शादी में अड़चने डाल रहा है. यह पीआईएल वकील एम.मोहम्मद अब्बास ने दायर की है. इसकी सुनवाई जुमे के रोज़ जस्टिस एस.तमिलवनन और जस्टिस वी.एस. रवि करेंगे.