रिश्वत का चलन

हिंदूस्तान में रिश्वत की तारीख़ का धारा कुछ इस तरह बह रहा है कि हर सेयासी पार्टी इस बुराई को अपनी कामयाबी की बुनियाद बना रही है। कुरप्शन के ख़िलाफ़ एहतिजाज करते हुए मुल्क गीर सतह पर अवाम में बेदारी पैदा करने की ग़रज़ से बी जे पी के सीनीयर लीडर ईल के अडवानी ने यात्रा निकाली। इस यात्रा का जगह जगह निम दिलाना ख़ौरमक़दम देख कर मध्य प्रदेश बी जे पी के क़ाइदीन ने अपनी रियासत में अडवानी की यात्रा को मक़बूल बनाने केलिए सहाफ़त को रिश्वत देने की कोशिश की, अब ये कौन कहेगा कि रिश्वत के ख़िलाफ़ बी जे पी लीडर की मुहिम दयानतदार है। एक मुद्दत से अपनी ख़राबियों के अस्बाब दूसरी सयासी पार्टीयों की ख़राबियों में तलाश रही बी जे पी को मध्य प्रदेश के वाक़िया से बिलाशुबा शर्मिंदगी हुई होगी। सहाफ़ीयों को रिश्वत दे कर बेहतर रिपोर्टिंग का लालच देना अफ़सोसनाक है। पेड न्यूज़ की लानत को सयासी जमातें ही फ़रोग़ दे रही हैं। इंसिदाद रिश्वत सतानी के लिए निकाली गई यात्रा को ही रिश्वत की चादर बिछाकर आगे बढ़ाने की कोशिश की गई। इस वाक़िया के बाद ये कोई यक़ीन नहीं करेगा कि बी जे पी के सीनीयर लीडर ने रिश्वत के ख़ातमा के लिए ये यात्रा निकाली थी बल्कि उन का एजंडा कुछ और ही है। पोशीदा एजंडे के साथ यात्रा को वो मक़बूलियत और कामयाबी नहीं मिल सकेगी जिस की कि अडवानी ने तवक़्क़ो की थी। बी जे पी के अंदर इस यात्रा के ताल्लुक़ से बेचैनी और नाराज़गी पाई जाती थी। चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी ने यात्रा पर नाख़ुशी का इज़हार किया था मगर बी जे पी कैडरस को ग़लत पयाम देने से रोकने के लिए यात्रा का गुजरात में ख़ौरमक़दम किया गया। लेकिन यहां अडवानी को कोई ख़ास हिमायत हासिल नहीं हुई और अवाम ने उन की यात्रा को एहमीयत नहीं दी। बी जे पी क़ाइदीन ने इस बेचारगी और बेबसी के आलम में प्रैस कान्फ़्रैंस तलब करके नोटों पर मुश्तमिल लिफाफे तक़सिम कि। पेड न्यूज़ की लानत के ख़िलाफ़ मुल्क गीर कोशिशों के बावजूद सियासतदानों ने ही इस बुराई को फ़रोग़ दिया है। दूसरों केलिए शफ़्फ़ाफ़ियत और पाक किरदार का दरस दे कर काबिल तक़लीद मिसालें देने वाली बी जे पी को ख़ुद की ख़राबी पर भी ध्यान देना चाहिये। अगर चीका ईल के अडवानी ने इस वाक़िया की तहक़ीक़ात कराने पार्टी के क़ाइदीन को हिदायत दी है, उन्हों ने मर्कज़ की कांग्रेस ज़ेर क़ियादत हुकूमत पर शदीद नुक्ता चीनी करते हुए कहा कि हुकूमत के तमाम ज़िम्मा दारान बदउनवानीयों में मुलव्विस हैं और वो दिन दूर नहीं जब काबीना का इजलास जेल में मुनाक़िद होगा। इन का कहना एक तरह मौजूदा हालात की दरुस्त तर्जुमानी करता है मगर इस तरह के हालात पैदा करने वाले सियासतदां ही हैं। कमज़ोर अप्पोज़ीशन के तौर पर बी जे पी हुक्मराँ पार्टी की बदउनवानीयों को नजरअंदाज़ करती आरही है। इस लिए आज यू पी ए हुकूमत के कई क़ाइदीन महरूस होगए हैं। एस्क़ाम हो या सी डब्लयू जी अस्क़ाम, हर बड़ा और छोटा अस्क़ाम हुक्मराँ पार्टीयों के क़ाइदीन की बग़ल से निकलता है। ये भी अफ़सोसनाक रिकार्ड है कि मर्कज़ में कल तक एक दूसरे की ख़राबियां, बदउनवानीयाँ और एस्क़ामस के लिए इल्ज़ामात आइद करनेवाली पार्टीयां मख़लूत हुकूमत का हिस्सा बन कर कांग्रेस की बदउनवानीयों को तक़वियत पहुंचा रही हैं। ऐवान और इस के बाहर सियासतदानों ने एक दूसरे को क़ातिल क़रार दिया, चोर और गुंडा के नाम से पुकारा, मगर पार्लीमैंट में जब बैठने का वक़्त आता है तो आपस में घुल मिल जाते हैं। हिंदूस्तान का हर बाख़बर शहरी जानता है कि जब हुकूमत में शमूलीयत का मरहला आता है तो सारी ख़राबियां नजरअंदाज़ करदी जाती हैं। बद उनवान पार्टीयों, दागदार क़ाइदीन से भी तशकील हुकूमत के लिए ताईद हासिल की जाती है।जिन क़ाइदीन को रिश्वत लेने की आदत होती है वही रिश्वत दे कर शौहरत खरीदते हैं जिन सियासतदानों को एक गुड गवर्नैंस, शफ़्फ़ाफ़ हुक्मरानी का दावा करते हुए सुना जा रहा है वही ख़राबियों की बुनियाद बन रहे हैं। आज के सियासत ज़दा माहौल में इस का एक बड़ा हिस्सा जराइम में इस क़दर मुलव्वस है कि वो हर एक को रिश्वत में मुलव्वस करने केलिए कोशां है। मध्य प्रदेश के बी जे पी क़ाइदीन को अपने मर्कज़ी लीडर की ख़ुशनुदी हासिल करने या दरपर्दा तौर पर उन की यात्रा को एक नए तनाज़ा में उलझाने के लिए सहाफ़ीयों को रिश्वत दी गई, ये वाक़िया यक़ीनन काबिल-ए-मुज़म्मत है। रिश्वत के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाली टीम अना को भी अब फूट का शिकार बनादिया गया, प्रशांत भूषण पर जिन लोगों ने हमला किया इन का ताल्लुक़ राम सेना से था और राम सेना के कारकुनों की इस कार्रवाई को शिवसेना के सरबराह बाल ठाकरे ने दरुस्त क़रार दे कर हमला आवरों की सताइश की। ये सयासी वाक़ियात और ख़राबियों को बढ़ावा देने का चलन क़ौमी और इलाक़ाई सयासी माहौल के लिए एक दिन तबाहकुन साबित होगा। ख़राबी बहरहाल एक नापसंदीदा चीज़ है इस को ख़तन करने के बजाय सयासी तबक़ा उसे मज़ीद तक़वियत पहुंचा रहा है। गुंडा गर्दी या रिश्वत का लालच दोनों ताक़त के नापसंदीदा ज़राए हैं इस के ख़ातमा के लिए जद्द-ओ-जहद की बजाय उस की हौसलाअफ़्ज़ाई की जा रही है। रिश्वत और गुंडा गर्दी से पाक माहौल के आर्ज़ूमंद हिंदूस्तानियों को शदीद मायूसी होगी कि इन के अतराफ़ ऐसे सियासतदानों का टोला फ़रोग़ पा चुका है जिन को अख़लाक़, तहज़ीब और दियानतदारी से दूर का भी वास्ता नहीं है।हुक्मराँ तबक़ा के लोग हूँ या अप्पोज़ीशन पार्टीयों के सियासतदां ख़राबियों और रिश्वत सतानियों के मुआमले में एक ही दस्तरख़्वान से सयासी तौर पर शिकम सैर होरहे हैं और उन की ख़राबियों की वजह से हिंदूस्तान का आम आदमी परेशान है।