रिश्वत के दम पर खड़े किए गए गुजरात दंगों के गवाह!

भले ही गोधरा में कारसेवकों को ट्रेन की बोगी में ज़िन्दा जला देने का वाकिया और उसके बाद गुजरात में भड़के दंगों को 12 साल से ज्यादा हो गए हों, और भले ही तब के गुजरात के सीएम आज मुल्क के पीएम बन गए हों, लेकिन मुल्क की सियासत और सामाजी ढांचे को झकझोर कर हमेशा के लिए बदल देने वाली इन वाकियात के कई पहलुओं से आम जनता आज भी अनजान है | ऐसा इसलिए नहीं कि वे ये सब जानना नहीं चाहते बल्कि इसलिए क्योंकि उन तक ये इत्तेलात पहुंचने ही नहीं दी गईं |

इस आर्टिकल में भाजपा और नरेंद्र मोदी की तल्ख तन्कीद तीस्ता सीतलवाड़ और कम्युनिस्ट पार्टियों के बारे में कुछ हकीकत पेश किए जा रहे हैं, जो गुजरात दंगों के लिए गवाह खड़े करने से मुताल्लिक हैं |

गोधरा कांड के रद्दे अमल की शक्ल गुजरात में हुए दंगों पर ज़्यादातर घड़ियाली आंसू बहाने वालों और गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी को पानी पी-पीकर कोसने वालों की करतूतों की पोलपट्टी कुछ ताजा आंकड़ें आने के बाद खुल गयी है |

वाजेह है कि अपने को सामाजी कारकुना, सेक्युलर , इंसानी हुकूक होने का दावा करने वाली तीस्ता सीतलवाड़ व माकपा ने गुजरात दंगों में हताहत लोगों पर काफी हंगामा मचाया था | अब यह हकीकत उजागर हो गया है कि गुजरात दंगों के गवाहों से बयान दिलवाने के लिए उन्हें उनकी तरफ से मोटी-मोटी रकम दी गयी | जो लोग दंगों के शिकार हुए थे और चश्मदीद गवाह थे उन्हें 1 लाख और 50 हजार रुपए और जो लोग सिर्फ दंगा के मुतासिर थे उन्हें पांच-पांच हजार रुपए दिए गए | यह रकम माकपा के ज़रिये से दिया गया जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ का अहम किरदार था | यह भी काबिल ए जिक्र है कि दंगा पीड़ित या चश्मदीद गवाहों को जब रकम दिया गया तो वृंदा करात भी मौजूद रही थीं |

एक अंग्रेजी अखबार दि पायनियर (20 दिसंबर, 2008) में शाय खबर के मुताबिक गुजरात के एक मुतनाज़ा गैर सरकारी तंज़ीम सिटीजन्स फार जस्टिस एण्ड पीस जिसकी सदर खुद तीस्ता सीतलवाड़ हैं, ने गुजरात दंगों के मुख्तलिफ दस मामलों के गवाहों को एक-एक लाख रुपए दिलाने का इंतेज़ाम कराई थी. यह रकम माकपा राहत फंड से आयी थी और दंगों के तकरीबन पांच साल बाद गवाहों को अदालत में पेश होने के पहले दे दी गयी थी |

इनके इलावा दिगर 4 ऐनी शाहिदीन गवाहों को पचास-पचास हजार रुपए दिये गये थे | जिन लोगों को यह मदद वाली रकम दी गयी उनके मुंतखिब, अदायगी के मकसद और रकम में ज़्याद फर्क को लेकर गवाहों में भी गुस्सा फैला रहा |

सिटीजन्स फार जस्टिस एण्ड पीस के अहम राबिताकार रईस खान ने पायनियर को बताया कि उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ की हिदायत पर फायदा उठाने वालों के नाम माकपा को दिये थे | रईस खान ने कहा कि फायदा उठाने वालों का मुंतखब तीस्ता सीतलवाड़ ने किया और मैंने सिर्फ उनके हिदायतो पर अमल कर नामों की फहरिस्त माकपा को भेजी थी |

जब इस मामले में तीस्ता से पूछा गया तो उन्‍होंने जवाब दिया कि मैं माकपा के कहने पर (रकम तकसीम करने के प्रोग्राम) तकरीब में गयी थी पर रकम इक्ट्ठा करने से मेरा कोई लेना-देना नहीं है |

एक ऐनी शहिदीन यासीन नईमुद्दीन अंसारी ने जिसे एक लाख रु. दिया गया था, पायोनियर को अहमदाबाद से फोन पर बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ की तंज़ीम की ओर से कोई उनसे मिला था, लेकिन उस शख्स का नाम उसे अब याद नहीं है |

गवाहों को रकम तक्सीम करने की तकरीब 26 अगस्त, 2007 को अहमदाबाद में हुआ था और उन्हें डिमांड ड्राफ्ट माकपा पोलित ब्यूरो की रूकन वृंदा करात, तीस्ता सीतलवाड़ और रईसखान ने बांटे थे | वृंदा ने कुबूल किया है कि रकम इक्ट्ठा करने का काम माकपा ने किया था |

उन्होंने यह भी बताया कि मेरी पार्टी को गुजरात दंगों से मुताल्लिक किसी मुकद्दमे में कोई मुलव्वस नहीं रही है | वृंदा करात ने यह भी माना कि दंगा के मुतास्सिरो के मुंतखिब के लिए उन्होंने एक स्थानीय ए मुकामी एनजीओ की मदद ली थी | उनके मुताबिक , इक्तेसादी मदद पाने के लिए बड़ी तादाद में दरखास्त आये थे और रकम की तक्सीम मुख्तलिफ मरहलो में किया गया था |

मौसूल तफ्सीलात के मुताबिक 1 अगस्त 2007 की तारीख में बने 567540 से लेकर 567554 नम्बर तक के 14 डी.डी. दंगा के मुतास्सिरो को तीस्ता, वृंदा तथा रईस खां की तरफ से बांटे गये थे | सात डी.डी. अहमदाबाद में और सात बड़ोदरा में अदायगी के लिए थे | मदद पाने वालों में यासमीन बानो शेख भी हैं जो जाहिर शेख के भाई नफीतुल्ला की बीवी हैं |

बड़ोदरा की यासमीन बानो को 50 हजार मिले थे. वह मुकदमा नं० 144/04 की शिकायतगुज़ार हैं | मजे की बात तो यह है कि उसकी शिकायत में कोई दम नहीं था | अदालत ने उसका लाई डिटेक्शन टेस्ट कराने का जब हुक्म दिया तो वह अदालत में गयी ही नहीं |

इक्तेसादी मदद पाने वालों में चार लोग बैस्ट बेकरी काण्ड के गवाह और दिगर 9 नरोदा पाटया, शाहपुर, खानपुर वगैरह 2002 के दंगों से मुताल्लिक हैं | यह भी मालूम है कि ऊपर की जानकारी एच. झावेरी की इत्तेला के इख्तेयार के तहत दी गयी दरखास्त पर मुख्तलिफ एजेन्सियों व बैंकों से हासिल हुई है |

बैस्ट बेकरी काण्ड के जिन चार गवाहों को माली मदद दी गयी इनमें सैलुन हसन खां पठान अहमदाबाद (1 लाख रु.), तुफैल अहमद हबीबुल्ला सिद्दकी बड़ोदा व शहजाद खां, हसन खां पठान, बड़ोदा (पचास-पचास हजार रु. प्रत्येक) शामिल हैं.

इनके इलावा अहमदाबाद के दंगों से मुताल्लिक 9 गवाहों को एक-एक लाख रुपए दिये गये | इनके नाम हैं- 1. कुरेशाबीबी हारुन भाई गोरी, बड़ोदा, 2. हुसेना बीबी गुलाम भाई शेख, बड़ोदा, 3. राशिदा बानो यूसुफ खां पठान, अहमदाबाद, 4. फातिमा बानो बाबूभाई सैय्यद, अहमदाबाद, 5. बदरुन्निशा मोहम्मद इस्माइल शेख, अहमदाबाद, 7. मो. यासीन नईमुद्दीन अंसारी, अहमदाबाद, 8. शेख अजहरुद्दीन इमामुद्दीन, अहमदाबाद तथा 9. शरजाह कौसर अली शेख, बड़ोदा. पांच-पांच हजार रु. पाने वालों के नाम भी रौशनी में आ चुके हैं |

—————–बशुक्रिया: पल पल इंडिया