रिश्वत के वाक़ियात से मुल्क का वक़ार मजरूह

नई दिल्ली, ११ अक्तूबर (पी टी आई) रिश्वत के मसला पर की जाने वाली तन्क़ीदों ( आलोचनाओं) के पस-ए-मंज़र में वज़ीर-ए-आज़म ( प्रधान मंत्री) मनमोहन सिंह ने आज कहा कि तिजारती इदारों ( व्यापारिक संस्थानो) की जानिब से बड़े पैमाना पर बदउनवानी ( भ्रष्टाचार) के वाक़ियात ( घटनाओ) को क़ानून में तब्दीलियों के ज़रीया निमटा ( निपटा) जाएगा जबकि दयानतदार सियासतदानों और क़ाइदीन ( नेताओं) को बदनामी से बचाने केलिए एक बेहतरीन राह निकाली जाएगी।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि हुकूमत सरकारी ओहदेदारों और अथॉरीटीज़ के काम में इमानदारी शफ़्फ़ाफ़ियत ( साफ सुथरे) और जवाबदेही के अमल को यक़ीनी बनाने की हर मुम्किना कोशिश करेगी। उन्होंने रिश्वत सतानी ( घूसखोरी) के मसला पर मनफ़ी ( नकारातमक/ Negative) रुजहान पैदा करने और फ़िज़ा (वातावरण/ माहौल) को मुकद्दर ( ग‍ंदा) करने की कोशिशों के ख़िलाफ़ इंतिबाह ( चेतावनी) दिया ।

उन्होंने कहा कि रिश्वत के नाम पर रुसवा कुन मुहिम ( अभियान) चलाने से मुल्क का वक़ार (मान मार्यादा/ प्रतिष्ठा) मजरूह (घायल या जख्मी ) हो सकता है। इस से आमिला (कार्यकारिणी) के हौसलों को ठेस पहुंचती है। यहां सी बी आई और रियासती इंसिदाद रिश्वत सतानी यूनिटों की 19 वीं सालाना कान्फ्रेंस से ख़िताब ( स‍ंबोधित) करते हुए वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि रिश्वत सतानी की कार्यवाईयों से निमटने के लिए मामूली तरीका कार इख़तियार नहीं किया जाएगा बल्कि उन से सख़्ती से निपटा जाएगा ।

दो दहों के दौरान मुल़्क की मआशी ( माली) पैदावार में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ है। लिहाज़ा रिश्वत सतानी के लिए ऐसा कोई मौक़ा नहीं देना चाहीए कि जिससे मुल़्क की बदनामी हो। जब कोई मईशत ( आर्थिक स्थिती) को वुसअत (शक़्ती/ ताकत) देने ख़ुसूसियत के साथ काम करता है तो उन में दियानतदारी होना ज़रूरी है ।

उन्होंने कहा कि इंसिदाद रिश्वत सतानी क़ानून में तरमेमात ( संसोधन) पर ग़ौर किया जा रहा है । इसके दफ़आत पर ना सिर्फ अदलिया की रोलिंग का जायज़ा लिया जाएगा बल्कि क़ानून में पाए जाने वाले बाअज़ खामियों को भी दूर किया जाएगा । इस क़ानून को आलमी उमूर (Affairs) के ख़ुतूत से हम आहंग ( संकल्प) किया जाएगा।

मुल्क में इस तरह के कई केस होने और रिश्वत सतानी के वाक़ियात से निमटने में मुश्किलात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि रिश्वत देने वाले को भी बख्शा नहीं जाना चाहीए । रिश्वत देना और लेना जुर्म है। हालिया दिनों में तिजारती (व्यापारिक) घरानों की जानिब से बड़े पैमाना पर बदउनवानीयाँ ( भ्रष्टाचार) की गई हैं ।

इन तमाम मुआमलों को क़ानून में मुजव्वज़ा (तब्दीलियों के ज़रीया ही निपटा जाएगा। हुकूमत इस बात का भी जायज़ा ले रही है कि इंसिदाद रिश्वत सतानी ( भ्रष्टाचार को खत्म करने) क़ानून को किस तरह मूसिर ( ताकतवर/ शक़्तिशाली) बनाया जाय। इनका ये तबसरा उस वक़्त सामने आया जब हुकूमत पर 2G स्पेक्टरम कोयला बलॉक तख़सीस ( आवंटन) स्क़ाम और दौलत-ए-मुश्तरका खेलों के स्क़ाम के सिलसिला में रिश्वत सतानी के इल्ज़ामात आइद किए ( आरोप लगाये) गए।

मनमोहन सिंह ने वाज़िह ( स्पष्ट) कर दिया कि करप्शन की तशरीह ( को ग़लत तरीका से किया जा रहा है । तलब और सरबराही दोनों का इस में अहाता किया गया है इस लिए इस ख़ामी को दूर करने केलिए इंसिदाद ( निवारण) रिश्वत सतानी क़ानून में तबदीली लाज़िमी है।

मैं आप पर इस बात पर ज़ोर दूंगा कि क़ाइदीन ( लीडर) और अवामी ख़िदमात गुज़ारों की दियानतदारी ( इमानदारी) पर शुबा ना किया जाय उन को बदनामी से बचाने की ज़रूरत है । आमिला ( कार्यकारिणी) के हौसलों को बुलंद रखने का हमें अह्द करना होगा।

उन्हों ने अपोज़ीशन ( विपक्ष) पार्टियों और सियोल कारकुनों की जानिब से रिश्वत के मसला पर बवाल मचाए जाने का हवाला देते हुए कहा कि इस से मुल्क में मनफ़ी ( नकारात्मक) फ़िज़ा ( वातावरण) पैदा हो रही है । इस मनफ़ी ( नकारत्मक) सोच और फ़िक्र को दूर करना ज़रूरी है क्योंकि इसी वजह से मुल्क आलमी ( विश्व स्तर ) सतह पर बदनाम होगा।