रिज़र्वेशन और बीफ़ पर बयानबाज़ी ने हराया : मांझी

पटना : बिहार के साबिक़ वजीरे आला और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के चीफ़ जीतनराम मांझी का कहना है कि बीफ़ और रिज़र्वेशन पर मुतनाज़ा बयान एनडीए की हार की सबसे बड़ी वजह बने।
उन्होंने कहा कि इंतिख़ाब से पहले महागठबंधन के लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं था और गाय के गोश्त के बारे में बहस लालू ने शुरू की कि बहुत से हिंदू भी बीफ़ खाते हैं। मांझी ने कहा कि जहाँ तक आरएसएस के चीफ़ मोहन भागवत के रिज़र्वेशन की तजवीज वाले बयान की बात है तो वे भी मानते हैं कि रिज़र्वेशन की तजवीज होनी चाहिए। “लेकिन लालू ने इसे समाज में इस तौर में पेश किया कि ये लोग रिज़र्वेशन को ख़त्म करना चाहते हैं। दलितों, पसमानदा और इंतेहाई पसमानदा पर इसका असर पड़ा। ”

मांझी ने कहा कि वे मानते हैं कि भागवत ने कुछ ग़लत नहीं कहा था, 1962 में जवाहर लाल नेहरू भी एमपी में ऐसा ही बयान दे चुके हैं। लेकिन भागवत के बयान की टाइमिंग ठीक नहीं थी। उन्होंने सवाल किया कि जब इंतिख़ाब हो रहा हो तो इस मुद्दे को उठाने की क्या ज़रूरत थी। मांझी ने दोहराया कि रिज़र्वेशन और बीफ़ जैसे मुद्दों से राजग को नुक़सान हुआ।

उनके मुताबिक, “अगर बयानों को ग़लत तरीक़े से पेश भी किया जा रहा था तो इनका फौरन रद्दो-अमल किया जाना चाहिए था। हालाँकि 10 दिन बाद वजीरे आजम मोदी ने रिज़र्वेशन पर बयान दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ”
उन्होंने कहा कि भागवत के बयान का असर ये हुआ कि पसमानदा तबका, मुसलमान और दलित वोटर, रिज़र्वेशन के मुद्दे पर गोलबंद हो गए और उन्होंने मान लिया कि रिज़र्वेशन बचाने के चैंपियन लालू ही हैं। मांझी ने कहा कि बिहार नतीजों पर अभी वजीरे आजम से उनकी कोई बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एनडीए की हार का एक वजह यह भी रहा कि इंतिख़ाब से ठीक पहले नीतीश ने अपने मनपसंद अफसरों की तैनाती की थी और वोटिंग में धांधली भी हुई है, पार्टी ने इसकी शिकायत भी की है।