रीजर्वेशन‌ पर केन्द्र ने क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन से मश्वरा नहीं कीया

* हमें वीधार्थीयों के भवीष्य‌ की फ़िक्र, मुक़द्दमे में कमीशन का मेहदूद रोल, पुलिस में इस्लाहात की वकालत, सदर नशीन जनाब वजाहत हबीब उल्लाह की सियासत से बातचीत
हैदराबाद। ( सियासत न्यूज़) क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन के सदर नशीन जनाब वजाहत हबीब उल्लाह ने कहा कि केन्द्र सरकार‌ की तरफ‌ से अक़ल्लीयतों(अल्पसंख्यकों) को 4.5फ़ीसद रीजर्वेशन देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की नाकामी का माइनारीटीज‌ कमीशन जायज़ा ले रहा है और उसे इस बात की फ़िक्र है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से अल्पसंख्यक विधार्थीयों के भवीष्य पर बहुत बुरा असर ना पडे ।

डाक्टर वजाहत हबीब उल्लाह ने नई दिल्ली से सियासत से बातचीत करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार‌ ने अक़ल्लीयती तालीमी इदारों में रिजर्वेशन देने का जो फ़ैसला किया है इस सिलसिले में क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन से कोई मश्वरा नहीं कीया गया । यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार‌ से सवाल किया था कि आया इस ने रिजर्वेशन देने से पहले क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन से राय हासिल की या नहीं ? ।

एक सवाल के जवाब में जनाब वजाहत हबीब उल्लाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुक़द्दमे में क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन का रोल इंतिहाई महदूद है और वो मुक़द्दमे की कार्रवाई पर नज़र रखे हुए हैं । ज़रूरत पड़ने पर कमीशन मुक़द्दमे में फ़रीक़ बन सकता है । उन्हों ने कहाकि हुकूमत को चाहीए था कि वो रिजर्वेशन देने से पहले क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन से राय हासिल करती लेकिन एसा नहीं किया गया ।

आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में हुकूमत की नाकामी के बाद आई आई टी में मेरिट में तय किये गए 300 अल्पसंख्यक वीधार्थीयों का भवीष्य‌ दाव‌ पर लग चुका है । इन वीधार्थीयों को आरिज़ी राहत दिलाने के लिए कमीशन फ़िक्रमंद है । कमीशन इस तरह का कोई हल निकालना चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट से उन स्टुडंट‌ को राहत मिल सके ।

उन्हों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मुक़द्दमा कमीशन के इख़तियार से बाहर है और मुक़द्दमे के सिलसिले में इस का कोई ख़ास रोल नहीं है । फिर भि कमीशन की ये कोशिश है कि कोई इस तरह का तरीक़ा तय‌ करे जिस से स्टुडंटों का नुक़्सान ना हो। इस सिलसिले में कमीशन माहिरीन के साथ ग़ौर कर रहा है । जनाब वजाहत हबीब उल्लाह ने कहा कि क़ौमी माइनारीटीज‌ कमीशन भी रिजर्वेशन‌ के मुक़द्दमे में हुकूमत की नाकामी से फ़िक्रमंद है और उसे माइनारीटीज स्टुडंटों के बेहतर भवीष्य‌ की ज़्यादा फ़िक्र है ।

वाज़िह रहे कि केन्द्र सरकार‌ ने अपने तालीमी इदारों में अक़ल्लीयतों(अल्पसंख्यकों) को 4.5फ़ीसद रिजर्वेशन देने का फ़ैसला किया । जिसे बी सी तंज़ीमों ने आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट में चैलेंज किया । हाईकोर्ट में केन्द्र के वकील की तरफ‌ से मुनासिब पैरवी ना किए जाने के बाइस हुकूमत को नाकामी हुई । इस के बाद जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो वहां भी दो मर्तबा सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फ़ैसले पर स्टे आर्डर‌ देने से इनकार कर दिया । मुख़ालिफ़ीन कि ये दलील‌ है कि मज़हब के नाम पर रिजर्वेशन दीये गए हैं । जब कि हुकूमत अदालत में ये साबित करने में नाकामी होगई कि समाजी पिछ्डे पन‌ की बुनियाद पर ये रीजर्वेशन देये गए और ये मज़हब की बुनियाद पर नहीं हैं ।

पहले से ही मौजूद 27.5फ़ीसद रीजर्वेशन‌ में से 4.5 को अलग‌ करते हुए नया ज़मुरा बना दिया गया जो किसी से नाइंसाफ़ी नहीं है । आई आई टी में तय किये गए स्टुडंटों ने भी आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है जिसे अदालत ने सुनवाइ के लिए क़बूल कर लिया ।

केन्द्र सरकार इस बात की कोशिश कर रही है कि स्टुडंटों के तालीमी भवीष्य‌ को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से वकती तौर पर अहकामात हासिल किए जाएं । इस सिलसिले में आंधरा प्रदेश के 4फ़ीसद रीजर्वेशन‌ की नज़ीर पेश की जाएगी । जिस के तहत सुप्रीम कोर्ट ने वकती राहत दी और आज भी रिजर्वेशन‌ पर अमल करने का सिलसिला जारी है ।

दिल्ली में योरोपी यूनीयन कि तहवील में मौत‌ पर मुनाक़िदा प्रोग्राम से बातचित‌ करते हुए जनाब वजाहत हबीब उल्लाह ने हस्सास मामलों में जानिब्दाराना रोल अदा करने वाले पुलिस ओहदेदारों पर कडी आलोचना की और पुलिस इस्लाहात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिस से उन ज़िम्मा दारों के ख़िलाफ़ मुनासिब कार्रवाई यक़ीनी होगी।

उन्हों ने बताया कि हाशिम पूरा हलाकतों में एसे पुलिस ओहदेदार जिन पर क़तल का इल्ज़ाम है वो भी मौजूदा निज़ाम के तहत तरक़्क़ी हासिल करने में कामयाब होगए। हालाँकि पुलिस काइदों में ये वजाहत‌ मौजूद है कि इन पुलिस ओहदेदारों को जिन के ख़िलाफ़ क़तल का इल्ज़ाम हो, तरक़्क़ी ना दी जाए। इस के बावजूद कई ओहदेदारों को तरक़्क़ी मिल गई और उन्हें धार्मिक भेदभाव वाले हस्सास इलाक़ों में तैनात किया गया। इन में से बाज़ ओहदेदार सुबुकदोश होगए और बाज़ इस दुनिया से भी कोच करगए।

उन्हों ने कहाकि होसकता है वो दूसरी दुनिया में अपने किए की सज़ा भुगत रहे हों लेकिन इस दुनिया में उन्हें अपने जुर्म की क़ीमत नहीं चुकानी पड़ी। सदर नशीन क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने हैदराबाद में मक्का मस्जिद धमाका की जांच‌ का हवाला दिया और कहाकि गिरफ़्तार नौजवानों ने ये इन्किशाफ़ किया कि उन्हें हिरासाँ और दस्तावेज़ात पर दस्तख़त के लिए मजबूर किया गया। ये ख़ुद पुलिस की ना अहलीयत का सबूत है क्योंकि पुलिस तहवील में दस्तख़त किये गए दस्तावेज‌ अदालत में कोई माना नहीं रखते।

उन्हों ने बताया कि रवी चन्द्र कमीशन ने इस मामले का जायज़ा लेने के बाद अपनी रिपोर्ट में ख़ामीयों की निशानदेही की। इस के बावजूद अमली तौर पर कुछ नहीं किया गया और बाज़ पकडे गएं ओहदेदारों को तरक़्क़ी दी गई। उन्हों ने कहाकि पुलिस इस्लाहात के बगै़र पहले से मौजूद मज़बूत क़ानूनी ढांचा को मज़ीद ताक़तवर बनाने से अच्छे नतीजें नहि निकलेंगे।