रीटेल मैं रास्त बैरूनी सरमाया कारी

मर्कज़ में यू पी ए हुकूमत ने बिलआख़िर रीटेल शोबा में भी रास्त बैरूनी सरमाया कारी की इजाज़त देदी है । मर्कज़ी काबीना का कल शाम एक इजलास वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह की सदारत में मुनाक़िद हुआ था जिस में रीटेल शोबा में 51 फ़ीसद तक रास्त बैरूनी सरमाया कारी की इजाज़त देदी गई ताहम ये लचक भी बरक़रार रखी गई कि किसी एक ब्रांड में सरमाया कारी को सिर्फ 51 फ़ीसद तक महिदूद ना रखा जाय ।

काबीना के इजलास में हालाँकि यू पी ए हुकूमत की हलीफ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस फ़ैसले की मुख़ालिफ़त की थी लेकिन हुकूमत ने इस को नज़र अंदाज़ करदिया और वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह की ईमा पर ये तजवीज़ काबीना के इजलास में मंज़ूर करली गई । फ़राख़दिलाना मआशी पालिसीयों और इस्लाहात के अमल की वजह से हिंदूस्तान में मुशतर्का वेंचर्स शुरू हुए और बड़ी बड़ी सनअतें क़ायम की गई हैं । अब यही काम रीटेल शोबा में होगा और आलमी सतह पर शौहरत रखने वाले कारोबारी इदारे रीटेल शोबा में भी हिंदूस्तान में अपनी क़िसमत आज़माई करेंगे ।

किसी एक ब्रांड के आग़ाज़ केलिए इन बैरूनी इदारों को कम अज़ कम 100 करोड़ रुपय की सरमाया कारी करनी होगी। मर्कज़ी काबीना की जानिब से मंज़ूरी मिलने के बाद अब वाल मार्ट और ऐसे ही दीगर आलमी शौहरत-ए-याफ़ता तिजारती इदारे हिंदूस्तान में अपनी बड़ी बड़ी स्टोरस क़ायम करते हुए रास्त हिंदूस्तानी अवाम के साथ तिजारत के मवाक़े से फ़ायदा उठाएंगे ।

हुकूमत के पास गुज़शता कुछ वक़्त से ये तजवीज़ ज़ेर इलतिवा थी और कई मर्तबा हुकूमत ने इस तजवीज़ को काबीना की मंज़ूरी देने की कोशिश की लेकिन उसे हमेशा ही नाकामी हुई थी । इस बार ताहम तजवीज़ की मुख़ालिफ़त करने वालों ने शिद्दत नहीं दिखाई और हुकूमत बिलआख़िर इसे मंज़ूरी दिलाने में कामयाब रही । हालाँकि काबीना के इजलास में तृणमूल ने इस तजवीज़ की मुख़ालिफ़त की थी और डी ऐम के ने भी अपने एतराज़ात ज़ाहिर किए थे लेकिन इन दोनों ही जमातों के मौक़िफ़ को काबीना ने नज़रअंदाज करते हुए वज़ीर-ए-आज़म की दिलचस्पी वाली इस तजवीज़ को मंज़ूरी देदी है ।

अप्पोज़ीशन जमातें भी रीटेल शोबा में रास्त बैरूनी सरमाया कारी के हक़ में नहीं थीं ताहम हुकूमत ने अप्पोज़ीशन को भी नज़रअंदाज करते हुए ये फ़ैसला करलिया है । हुकूमत के फ़ैसले पर हालाँकि अंदरून-ओ-बैरून-ए-मुलक के सनअती हलक़ों ने हुकूमत के इस फ़ैसले की सताइश की है और कहा है कि इस से सरमाया कारी की नई राहें खुलींगी ।

मुल़्क की अप्पोज़ीशन जमातों ने ताहम हुकूमत के इस फ़ैसले पर एतराज़ किया है और आज पार्लीमैंट में इस मसला पर हंगामा आराई की गई औरा यवान में कोई काम काज नहीं होसका । पार्लीमैंट में अप्पोज़ीशन जमातों की जानिब से सरमाई इजलास के आग़ाज़ से ही किसी ना किसी मसला पर एहतिजाज-ओ-हंगामा किया जा रहा है और एक दिन भी कोई कार्रवाई नहीं होसकी है ।

पार्लीमैंट के तात्तुल से क़ता नज़र रास्त बैरूनी सरमाया कारी का फ़ैसला हुकूमत की जानिब से भले ही किसी भी तरह के अमोरको ज़हन में रखते हुए किया गया हो लेकिन ये ज़रूर कहा जा सकता है कि इस फ़ैसले के नतीजा में मुल्क में रीटेल मार्किट की हालत और हईयत ही तबदील हो जाएगी ।

हुकूमत के इस फ़ैसले के नतीजा में मुल्क में यक़ीनी तौर पर सरमाया का बहाव बढ़ जाएगा ताहम इस के मुज़म्मिरात पर हुकूमत ने ग़ौर नहीं किया है । इस फ़ैसले के नतीजा में मुल्क में रीटेल शोबा में जब बैरूनी कंपनीयां दाख़िल होजाएंगी तो उन पर हुकूमत रास्त तौर पर कोई कंट्रोल नहीं करपाऐंगी और ये कंपनीयां अपने उसूल और शराइत पर कारोबार करेंगी ।

इस का लाज़िमी नतीजा ये होसकता है कि पहले ही से महंगाई की मार सहने वाले मुलक के अवाम को मज़ीद महंगाई का सामना करना पड़ेगा । आलमी मयार की कंपनीयां अपने मयार के मुताबिक़ क़ीमतों पर कारोबार करेंगी और उन क़ीमतों पर हुकूमत का अपना कोई कंट्रोल नहीं रहेगा। हमारे सामने पहले ही इस तरह की मिसालें मौजूद हैं जब ख़ुद हिंदूस्तान की बड़ी कंपनीयों और कारोबारी इदारों ने रीटेल शोबा में कारोबार का आग़ाज़ किया तो अश्या-ए-ज़रुरीया की क़ीमतों में मुसलसल इज़ाफ़ा ही होने लगा ।

उन कंपनीयों के नतीजा में ना किसानों को फ़ायदा हुआ ना सारिफ़ीन को कोई राहत मिली । अगर कोई फ़ायदा हुआ तो सिर्फ दरमयानी आदमीयों को और ख़ुद उन कंपनीयों को फ़ायदा हुआ । इन दोनों के दरमयान मुलक के किसान और आम आदमी को महंगाई का शिकार होना पड़ा । माज़ी का तजुर्बा और महंगाई की सूरत-ए-हाल को ख़ातिर में लाए बगै़र हुकूमत ने अब एक और फ़ैसला करते हुए आलमी इदारों को भी रास्त सरमाया कारी की इजाज़त देदी है और इस के मुज़म्मिरात को यकसर नज़रअंदाज करदिया गया है ।

चूँकि बैरूनी कारोबारी इदारों के रीटेल कारोबार पर हुकूमत का कोई कंट्रोल नहीं होगा इस लिए ये अंदेशे बेबुनियाद नहीं हैं कि आम आदमी को एक बार फिर महंगाई की मार सहनी पड़ेगी और हुकूमत महज़ तमाशाई बनी रहेगी । अब चूँकि मर्कज़ी काबीना इस फ़ैसले को मंज़ूरी दे चुकी है ताहम हुकूमत को ऐसा कोई मेकानिज़म पेश करना होगा जिस के नतीजा में आम आदमी को महंगाई की मार से बचाया जा सके बसूरत-ए-दीगर आम आदमी को मज़ीद मुश्किलात का सामना करना पड़ेगा ।