रुपये की क़दर में गिरावट के देसी अवामिल भी ज़िम्मेदार

क़ौमी मईशत को मुस्तहकम करने केलिए हुकूमत के इक़दामात , सब्र से काम लेने की तलक़ीन : चिदम़्बरम
रुपये की क़दर में मुसलसल गिरावट देखी जा रही है और आज ये 66 के निशाना को भी उबूर करचुका है लेकिन वज़ीरे फाईनानस पी चिदम़्बरम ने कहा है की यक़ीनन रुपये अपनी हक़ीक़ी क़ीमत को उबूर करचुका है और एक बोहरान की सूरत-ए-हाल है लेकिन वो पुरअज़म है की बहुत जल्द ये अपनी हक़ीक़ी क़दर और क़ीमत पर वापसी करेगा। वज़ीरे फाईनानस पी चिदम़्बरम राज्य सभा से वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान इन ख़्यालात का इज़हार किया।

हिन्दुस्तानी रुपये की क़दर में अमरीकी डालर की बनिस्बत मुसलसल गिरावट देखी जा रही है और आज ये अपनी सब से अक़ल्ल तरीन क़ीमत 66 निशाना को भी उबूर करचुका है। चिदम़्बरम ने राज्य सभा को वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान मतला करते हुए ना सिर्फ़ कहा कि हुकूमत क़ौमी मईशत की बुनियादों को मुस्तहकम करने बल्कि रुपये की हक़ीक़ी क़ीमत को इस के मुक़ाम पर वापिस लाने केलिए मवसर इक़दामात कररही है।

चिदम़्बरम ने रुपये की क़ीमत में मुसलसल गिरावट की वजूहात में बैरूनी अनासिर के अलावा देसी अवामिल को भी ज़िम्मेदार क़रार दिया है। चिदम़्बरम ने हुकूमत की तरफ‌ से किए जाने वाले इक़दामात के अलावा मुतालिबा भी किया कि सब्र का मुज़ाहरा करे क्योंकि क़ौमी मईशत अपने मुक़ाम पर वापसी करेगी। चिदम़्बरम ने रुपये की गिरावट में देसी अवामिल की ज़िम्मेदारी का हवाला देते हुए कहा कि इस गिरावट में सिर्फ़ बैरूनी अनासिर ही ज़िम्मेदार नहीं बल्कि देसी अवामिल भी ज़िम्मेदार है।

जैसा कि देसी अवामिल में एक मालीयाती ख़सारा भी है जबकि इस दौरान जारी खाते को भी उबलने दिया गया है। हालाँकि 2009 ता 2011 के दौरान चंद अहम फ़ैसले किए गए थे। ये वो वक़्त है जब हुकूमत ने मग़रिबी मईशत की ज़वाल पज़ीरी के ख़तरनाक नताइज से महफ़ूज़ रहने केलिए हिक्मत-ए-अमली का ऐलान किया था। उन्होंने मज़ीद कहा कि मौजूदा वक़्त में तमाम उभरती मईशतों को चैलेंजस दरपेश हैं।

वज़ीरे फाईनानस ने ये भी कहा कि अगस्त 2012 और मई 2013 के दरमियान ऐक्सचेंज की क़ीमतें मुस्तहकम थी लेकिन 22 मई के बाद से रुपये पर मुसलसल दबाव‌ है। चिदम़्बरम ने कहा कि मग़रिबी मआशी बोहरान के नताइज के असरात दीगर उभरती मईशतों के हामिल ममालिक पर असरअंदाज़ होरहे हैं और तमाम ममालिक इस तरह के चैलेंजस का सामना कररहे हैं। चिदम़्बरम ने इस बोहरानी सूरत-ए-हाल में सब्र आज़मा मुज़ाहरा का मुतालिबा किया और कहा कि हुकूमत क़ौमी मईशत की बुनियादों को मुस्तहकम करने के लिए इक़दामात कररही है और उन्हें उम्मीद है की रुपये की क़ीमत अनक़रीब अपनी हक़ीक़ी क़ीमत पर वापसी करेगी।

सरमायाकारों के ख़दशात को दूर करने की ग़रज़ से उन्होंने कहा कि जारी खाते में नुक़्सान और आज़म तरीन इफ़रात-ए-ज़र उन के लिए तशवीशनाक नहीं क्योंकि हुकूमत मालीयाती ख़सारे पर क़ाबू पाने के लिए इक़दामात करचुकी है लेकिन उसे इस पालिसीज़ पर मव‌सर तबादला-ए-ख़्याल की ज़रूरत है। चिदम़्बरम के बमूजब इनफ़रास्ट्रक्चर के शोबा शोबा जात में भी मुंजमिद प्रोजेक्ट‌ को शुरू करने के लिए भी इक़दामात किए जा चुके हैं।