हिंदूस्तानी नज़ाद लेखक सलमान रुशदी का कहना है कि इस ने इरानी फ़तवा के तनाज़ुर के बरसों के दौरान उर्फ़ीयत(मालोमात) जोज़िफ एनटन अपना ली थी कीवनका उसे कोई भी हिंदूस्तानी नाम इस्तिमाल ना करने का मश्वरा(सलाह) दिया गया था ।
रुशदी ने इन दिनों की याद ताज़ा करते हुए कहा कि उसे अपना नाम खो देने पर बहुत बुरा महसूस हुआ और इतना ही नहीं बल्कि वो अपनी असली शनाख़्त से भी महरूम हो चला था ।
65 साला मलऊन लेखक ने कल न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी में ये बात कही जहां इस ने जोज़िफ एनटन से जुड़ी अपनी यादों का ज़िक्र किया ।