रुह आफज़ा और रमज़ान, हर रोजेदार की पहली पसंद!

रूह अफजा भले ही पहले एक चिकित्सीय पेय की तरह बनाया गया हो लेकिन जल्दी ही ये एक गर्मी में शीतलता देने वाला पेय बन गया। इसकी इतने दिन तक टिके रहने की वजह एक ये भी है कि ये अपनी पुरानी रेसिपी पर चल रहा है।

इसका स्वाद कभी नहीं बदला। जिसने बचपन में रूह अफजा पिया है उसको आज भी वही स्वाद मिलता है। इससे एक लॉयल कस्टमर बेस तैयार होती गई।

रमजान जब जब गर्मी में हुए हैं तब हमेशा इफ्तार के समय ठंडा पेय जरूर बनाया जाता था। ऐसे में रूह अफजा आसानी से उपलब्ध रहता था। इसको बनाना भी बहुत आसान था।

इसका कंसन्ट्रेट ठंडे पानी में घोलिए और रूह अफजा तैयार। एक बोतल बहुत चलती थी। आमतौर पर हर मुस्लिम घर में रूह अफजा रहता ही था। शादी के बाद भी लड़कियां अपने ससुराल जाकर रूह अफजा जरूर बनाती थीं।

इसके अलावा इसका लाल रंग अलग से आकर्षित करता था। धीरे धीरे रूह अफजा अब रमजान में इफ्तार का एक हिस्सा बन गया। इसीलिए इस बार जब इसकी कमी हुई तो हाय तौबा मच गई कि रमजान में रूह अफजा उपलब्ध नहीं है और मुसलमान परेशान हो रहे हैं। वैसे रमजान में रूह अफजा का शरबत बनाने का कोई धार्मिक महत्व नहीं है।

लखनऊ की रहने वाली ज़ेबा रफत के अनुसार, “रूह अफजा से आप सिर्फ शरबत नहीं बल्कि मिल्क शेक, लस्सी और आइसक्रीम तक बना सकते है। इतनी विविधता किसी एक ड्रिंक में नहीं मिलती है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र में पीएचडी कर रहे सलमान सिद्दीकी कहते हैं, “रमजान के पहले दिन रूह अफजा नहीं मिला। फिर मैंने ढूंढ कर एक दुकान से एक बोतल खरीदा।

हाथ में लेते ही लगा कि कुछ खास मिल गया। दिल्ली के रहने वाले शाहनवाज़ मलिक तो तीन बोतल रूह अफजा खरीद लाए और बड़े गर्व से फेसबुक पर फोटो पोस्ट की। मलिक कहते हैं, “अब पूरे रमजान का रूह अफजा मेरे पास स्टॉक में हैं।

साभार- डी डब्ल्यू