बेरूत, 31 मई: ( ए पी) सदर शाम बशर अल असद ने कहा कि उनकी हुकूमत को इंतिहाई असरी रूसी तैय्यारा शिकन मिज़ाईल्स की पहली खेप मौसूल हो चुकी है। दूसरी तरफ़ मग़रिबी ममालिक की ताईद के हामिल अपोज़ीशन ग्रुप ने अमन मुज़ाकरात में हिस्सा ना लेने का ऐलान किया है।
इस तरह ख़ानाजंगी से तबाह इस मुल्क में अमन की बैनुल अक़वामी कोशिशों को दोहरा धक्का पहुंचा है। बशर अल असद ने तवील मुसाफ़ती-300 एयर डीफेंस मीज़ाईल्स के शाम पहुंचने पर जो तब्सिरा किया उसे लेबनान की हिज़्बुल्लाह के ज़ेर-ए-कंट्रोल टी वी स्टेशन ने इंटरव्यू की शक्ल में नशर किया है।
बशर अल असद का ये इक़दाम इस इलाक़ा में कशीदगी में इज़ाफ़ा का सबब बन सकता है और किसी भी तरह के अमन मुज़ाकरात की कोशिशों को बुरी तरह नुक़्सान पहुंचने का अंदेशा है। इसराईल के दिफ़ाई सरबराह मोशे यलोन ने जारीया हफ़्ता रूस के शाम को हथियार सरबराह करने के मंसूबा पर शदीद तन्क़ीद करते हुए ख़बरदार किया था कि इसराईल भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।
हिज़्बुल्लाह के अलमनार टी वी ने रूसी मीज़ाईल्स शाम पहुंचने के बारे में बशर अल असद का तब्सिरा नशर किया है जिसमें कहा गया है कि शाम को रूस से तैय्यारा शिकन S-300 मिज़ाईल्स का पहला बीड़ा मौसूल हो चुका है। बशर अल असद ने कहा कि हम रूस के साथ किए गए तमाम मुआहिदों पर अमल करेंगे और इन में से बाअज़ पर पहले ही अमल हो चुका है।
इस टी वी स्टेशन के एक ओहदेदार ने एसोसीएटेड प्रेस को बताया कि ये रिमार्कस बशर अल असद के ख़ुसूसी इंटरव्यू का एक हिस्सा है और तफ़सीली इंटरव्यू बाद में नशर किया जाएगा। मीज़ाईल्स की ये खेप शाम पहुंचने की इत्तिला ऐसे वक़्त मिली जबकि चंद दिन क़ब्ल ही यूरोपी यूनीयन ने शाम पर असलह की पाबंदी बर्ख़ास्त कर दी जिसके नतीजा में 27 रुकनी बलॉक में शामिल इन्फ़िरादी ममालिक को बाग़ीयों को हथियार भेजने की राह हमवार हुई है।
इस ताज़ा सूरत-ए-हाल से असलाह की दौड़ बढ़ने के अंदेशे पैदा हो गए हैं। ये लड़ाई ना सिर्फ़ बशर अल असद की फ़ौज और मुख़ालिफ़ जंगजुओं के माबैन होगी बल्कि अंदेशा ये है कि ये लड़ाई मशरिक़ वुसता में वुसअत इख्तेयार कर जाएगी। इसराईल ने हालिया चंद माह के दौरान शाम में कई फ़िज़ाई हमले किए और समझा जाता है कि इसने हिज़्बुल्लाह को पहुंचाए जा रहे हथियारों के बेड़ों को निशाना बनाया है।
लेबनान के शीया ग्रुप हिज़्बुल्लाह और ईरान-ओ-रूस बशर अल असद के कट्टर हलीफ़ हैं। अभी ये वाज़िह नहीं हो पाया है कि इन हमलों में इसराईली जंगी तैय्यारे शाम के फ़िज़ाई हदूद में दाख़िल हुए या नहीं।