नई दिल्ली, 02 फरवरी: ख़्वातीनो के साथ जिंसी तसद्दुद करने वालों को अब कड़ी सजा मिलेगी। आबरूरेज़ि के ऐसे घिनौने मामले, जिनमें मुतास्सिरा की मौत हो जाती है या फिर वह मौत की हालत में पहुंच जाती है, उन मामलों में मुल्ज़िमो को सजा-ए-मौत दी जा सकेगी।
दिल्ली गैंगरेप की वाकिया के बाद ख़्वातीनो की हिफाज़त पर उठे सवालों के जवाब में मरकज़ी हुकूमत ने जुमा को आबरूरेज़ि कानून के शराइत में बड़े बदलाव वाले आर्डिनेंस को मंजूरी दे दी।
आबरूरेज़ि की डिफिनेशन में बदलाव करते हुए हुकूमत ने इस आर्डिनेंस में जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी की सिफारिशों की बुनियाद पर और इन सिफारिशों से आगे जाकर भी कई प्रोविज़न ( Provision) किए हैं। इसमें आबरूरेज़ि के मुल्ज़िमों को ताउम्र सलाखों के पीछे रखने और तेजाब से हमला करने वालों को बीस साल की सजा की तजवीज़ है।
इसके साथ ही रेप मुतास्सिरा को मुआवजा दिए जाने का भी कानूनी शराइत किया गया है। मरकज़ी कैबिनेट में फैसला लेने के बाद हुकूमत ने हुक्मनामे (Ordinance) लाने के लिए तजवीज़ सदर जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी के पास भेज दिया है। इस आर्डिनेंस पर सदर जम्हूरिया की ओर से मुहर लगाने के बाद हफ्ते को नोटिफिकेशन जारी की जाएगी।
हुकूमत ने आबरूरेज़ि की डेफिनेशन में बदलाव कर इसे जिंसी तशद्दुद कर दिया है, ताकि ख़्वातीनो के खिलाफ सभी तरह की जिंसी तशद्दुद इसके दायरे में आ सके। साथ ही ख़्वातीनो का पीछा करने, कपड़े फाड़ने और फहश सुलूक को जुर्म के जुमरा (Category) में रखने को हुक्मनामे में शामिल किया गया है।
वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह की सदारत में पहली बार खासकर ख़्वातीनो की हिफाजत के मुद्दे को लेकर खुसूसी बैठक बुलाई गई थी। कैबिनेट ने जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों से आगे जाकर आबरूरेज़ि के वजह से मुतास्सिरा की मौत या उसके मौत की हालत में पहुंचने के मामलों में सजाए मौत का प्रोविजन (Provision) किया है।
ज़राए ने बताया कि ऐसे मामलों में कम से कम 20 साल की सजा का कानून बनायागया है, जबकि ज्यादा से ज्यादा ताउम्र कैद या सजाए मौत भी दिया जा सकता है।
मालूम हो कि हाल ही में वज़ीर ए आज़म ने जस्टिस वर्मा को लिखे खत में वाजेह किया था कि उनकी सिफारिशों को लागू करने के मसले पर हुकूमत मुस्ताअती (Readiness) दिखाएगी। मालूम हो कि जस्टिस वर्मा कमेटी ने सजाए मौत की सिफारिश नहीं की थी।
कैबिनेट की खुसूसी इजलास के बाद कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि दिल्ली गैंगरेप के वाकिया के बाद मुल्क के जज़बातों को देखते हुए हुकूमत ने फरमान (Ordinance) के जरिए कानून में बदलाव का यह तारीखी फैसला लिया है।
जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के साथ पार्लीमानी मुस्तकिल कमेटी के सुझावों को भी फरमान में शामिल किया गया है। कैबिनेट में हुक्मनामे पर मुहर लगाने से पहले सात रेसकोर्स रोड पर कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में सोनिया गांधी और वज़ीर ए आज़म की मौजूदगी में इस पर बहस की गई।
इससे पहले वज़ीर ए आज़म ने दिन में वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री के साथ अलग से लंबी चर्चा कर हुक्मनामे को आखिरी शक्ल दिया।
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नए कानून
आबरूरेज़ि के चलते मुतास्सिरा की मौत होने या उसके मौत जैसी हालत में पहुंचने के मामलों में मुल्ज़िमो को –सजा-ए-मौत या ताउम्र कैद की सजा दी जा सकेगी।
–ऐसे घिनौने मामलों में कम से कम 20 साल की सजा दी जाएगी।
–तेजाब से हमलों के लिए अलग दफा ( Act) , इसमें 20 साल की सजा का कानून।
ख्वातीनो का पीछा करने, कपड़े फाड़ने और फहश सुलूक को जुर्म की जुमरे में रखा गया।
–शील भंग करने में सजा दो साल से बढ़ाकर पांच साल की गई।
–अश्लील इशारे करने में सजा को एक साल से बढ़ाकर तीन साल।
–आईपीसी के तहत अदालत सजा को कम कर सकती है, लेकिन फरमान (Ordinance) जारी होने के बाद कोर्ट ऐसा नहीं कर सकेगा।
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कानून होगा वुमन फ्रेंडली
जिंसी तशदुद की शिकार मुतास्सिरा का बयान खातून पुलिस आफीसर ही दर्ज करेगी।
–18 साल से कम की मुतास्सिरा का सामना मुल्ज़िम से नहीं कराया जाएगा।
–पुलिस आफीसरों के सामने गवाहों का निजी तौर पर पेश होना जरूरी नहीं।
–तेजाब हमले के दौरान अगर मुतास्सिता बचाव में हमलावर का कत्ल कर देती है तो उसे खुद की हिफाज़त के हुकूक के तहत सेक्युरिटी जाएगी।
मौजूदा हालात
आबरूरेज़ि में फिलहाल सात साल से उम्रकैद तक की सजा का कानून है।
–630 सफहात ( Pages) की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा कमेटी ने हुकूमत को 23 जनवरी को सौंपी थी सिफारिशें।
————-बशुक्रिया: अमर उजाला