नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह उस गरीब महिला को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे, जिसके साथ कथित बलात्कार हुआ था। चिकित्सीय बोर्ड की राय के बाद महिला की 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति नहीं दी गयी थी।
जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसने कुछ निर्देश जारी किये हैं और पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया है, जिसके तहत महिला को गर्भ गिराने की अनुमति इसलिए नहीं दी गयी थी, क्योंकि वह 20 सप्ताह के गर्भ की कानूनी सीमा को पार कर चुकी है। यह सीमा चिकित्सीय गर्भपात कानून, 1971 में दी गयी है।
पीड़िता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि महिला को बिहार सरकार से मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि वह गर्भ गिरवाने के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल गयी थी। उस समय उसके गर्भ का 17वां सप्ताह चल रहा था।
महिला के साथ पटना की सड़कों पर कथित बलात्कार किया गया और अब वह 26 सप्ताह की गर्भवती है। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह गरीब है और उसे अपनी गर्भावस्था के बारे में पहली बार तब पता लगा, जब उसे 13वां सप्ताह चल रहा था।
उसे यह तब पता लगा, जब एक महिला पुनर्वास केंद्र शांति कुटीर ने उसे बचाया और 26 जनवरी को उसका गर्भ परीक्षण कराया गया।