वज़ीर रेलवे दिनेश त्रिवेदी ने रेलवे मुसाफ़िर किरायों में इज़ाफ़ा का ऐलान करके एक जुर्रत मंदाना फ़ैसला करने का एज़ाज़ हासिल किया है । एक दहिय में पहली मर्तबा उन्होंने मुसाफ़िरों की जेब काटने की जुर्रत की है तो इस से ख़ुद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सरबराह नाराज़ हो चली हैं। रेलवे के तमाम दर्जों के किरायों में औसतन इज़ाफ़ा किया गया है उसे आज रेलवे की जरूरतों को पूरा करने के लिए नागुज़ीर बताया जा रहा है।
इंडियन रेलवे का कारवां बजट को लेकर पर पेच और ख़ारदार वादी में दाख़िल हो जाए तो इस वादी से निकलने तक किस किस मुसाफ़िर की जेब कटते रहेगी ये कहना मुश्किल है। हैरत की बात ये है कि वज़ीर रेलवे ने अपनी पार्टी को बेख़बर रख कर बजट तैयार किया और पार्लीमेंट में पेश कर्दा इस बजट से यू पी ए हुकूमत को कोई सयासी भूंचाल तो पैदा नहीं होगा क्योंकि तृणमूल कांग्रेस या किसी और हलीफ़ पार्टी की मुख़ालिफ़त से रेलवे मुसाफ़िरों पर डाले जाने वाला बोझ कम नहीं किया जाएगा।
ये किराया मज़ाफ़ाती और औडनरी सेकेंड क्लास (Ordenary Second Class) के लिए फ़ी केलो मीटर 2 पैसे से लेकर दीगर ज़मुरा जात और ए सी चेयर कार, ए सी थ्री टायर फ़र्स्ट क्लास के सफ़र के लिए फ़ी केलो मीटर 30 पैसे तक का इज़ाफ़ा किया गया है। इसका मतलब तक़रीबन 5 रुपय फ़ी मुसाफ़िर इज़ाफ़ा किराया हासिल किया जाएगा। मुल्क में रेलवे स्टेशनों की हालत अबतर होने के साथ दीगर बुनियादी सहूलतों के फ़ुक़दान की शिकायतों को दूर करने के बजाय मुख़्तलिफ़ फ़ार्म के टिकट को 3 रुपय से बढ़ाकर 5 रुपय कर दिया गया है।
रेलवे के मालीयाती मौक़िफ़ को कमज़ोर-ओ-बख् कर वज़ीर रेलवे ने कुछ तबदीलीयां लाई हैं अगर रेल किरायों में इज़ाफ़ा ना किया जाता तो भी इस इदारा को मालीयाती अबतरी पर कोई असर नहीं पड़ता क्यों कि रेलवे के फंड्स में कमी की वजह बदइंतिज़ामी है। रेलवे के साबिक़ वुज़रा ने ख़ासकर लालू प्रसाद यादव के दौर में रेलवे को मुनफ़अत बख्श इदारा कहा जाता था अब यहां रेलवे फंड्स-ओ-मालिया की क़िल्लत से दो-चार है तो इस की कई वजूहात हो सकती हैं इसके लिए सिर्फ मुसाफ़िरों को निशाना बनाना मायूसकुन बात है।
दिनेश त्रिवेदी ने 75 नई एक्सप्रेस ट्रेन, 21 मुसाफ़िर ट्रेन आठ मैन लाईन इलेक्ट्रीकल मल्टीपुल यूनिट्स और 7 डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीपुल यूनिट शुरू करने की तजवीज़ रखी है जबकि साबिक़ में इनकी सीनीयर वज़ीर ममता बनर्जी ने जिन नई ट्रेनों का ऐलान किया था इन में से बेशतर ट्रेनें हनूज़ शुरू नहीं होसकी हैं बिलाशुबा मुल्क में रेलवे का सफ़र सब से महफ़ूज़ और सस्ता ट्रांसपोर्ट ज़रीया है। लेकिन इसके साथ ही रेलवे की सेफ़्टी पर हालिया बरसों में जो इक़दामात किए गए हैं वो अनील काकोडकर कमेटी की पेश कर्दा सिफ़ारिशात का हिस्सा हैं।
ट्रेन मुसाफ़िरों की सलामती के लिए यूरोप के निज़ाम के ख़ुतूत पर इंडियन रेलवेज़ को भी इक़दामात करने होंगे। यूरोप में गुज़श्ता कई दहों से कोई बड़ा ट्रेन हादिसा पेश नहीं आया क्योंकि तेज़ रफ़्तार ट्रेनों को दौड़ाने के लिए सेफ़्टी पहलोओं का ख़ास हैयाल रखा गया है। वज़ीर रेलवे ने 12 वीं पनजसाला मंसूबा के तहत रेलवेज़ के लिए पाँच तरजीही शोबों का तज़किरा किया है। जहां तक सेफ़्टी का ताल्लुक़ है हर साल इस पर कोई ना कोई मंसूबा जाती इक़दाम किया जाता है इस के बावजूद रेलवे हादिसों को रोकने में कोई मदद नहीं मिलती।
रेलवे में सरमाया कारी को मौजूदा 1.92 लाख करोड़ से बढ़ाकर आइन्दा पाँच साल तक 2012-17 के लिए 7.35 लाख करोड़ करने का ऐलान करने वाले वज़ीर रेलवे ने अंदरून-ए-मुल्क मजमूई पैदावार में रेलवे के तआवुन को दुगुना यानी दो फ़ीसद करने की उम्मीद ज़ाहिर की है। इस का मतलब ये हुआ कि ये तआवुन का जज़बा रेलवे मुसाफ़िर यन की जेब से हासिल करने वाली रक़म से ही पूरा किया जाएगा। इस वक़्त एक आम आदमी को रेलवे किरायों का इज़ाफ़ा बोझ वाज़िह नज़र नहीं आएगा जब वो टिकट ख़रीद कर सफ़र शुरू करेंगे तो उन्हें इस बोझ का एहसास होने लगेगा।
रेलवे प्लेट फॉर्म्स को एयरपोर्टस के ख़ुतूत पर तरक़्क़ी देने का अज़म रखने वाले वज़ीर रेलवे को सब से पहले इन प्लेटफॉर्म्स और रेलवे कोच्स में साफ़ सफ़ाई को यक़ीनी बनाना ज़रूरी है। ज़रूरतमंदों और किसी आरिज़ा में मुबतला मुसाफ़िरों के किरायों में रियायत का क़दम उठाते हुए वज़ीर रेलवे ने सील एनीमिया से मुतास्सिर मरीज़ों को 50 फ़ीसद की रियायत की है। इज़्ज़त स्कीम के तहत रेल मुसाफ़िर यन 100 किलो मीटर तक 25 रुपये का पास हासिल करते थे अब इस में 150 किलो मीटर तक की तौसीअ की गई है जिससे बड़े शहरों के क़रीब वाले टाउंस के मुसाफ़िरों को सहूलत होगी जो रोज़ाना मुलाज़मतों और दीगर कामों के लिए शहरों का रुख करते हैं। गुज़श्ता की तरह इस मर्तबा भी बजट में आंधरा प्रदेश को नजर अंदाज़ कर दिया गया जब तक सी के जाफ़र शरीफ़ वज़ीर रेलवे की हैसियत से ख़िदमात अंजाम दे रहे थे जुनूबी हिंद को इस का हक़ हासिल होता।
अब साउथ सेंटर्ल रेलवे को नजरअंदाज़ करने की एक आदत सी बना ली गई है। यहां इलेक्ट्रीफिकेशन का काम भी अधूरा पड़ा है। इसके इलावा ट्रैक्स को डबल करने का काम भी सुस्त रफ़्तारी से जारी है। दोनों शहरों हैदराबाद और सिकंदराबाद में ट्रैक्स की कमी की वजह से एम एम टी एस सर्विस ताख़ीर से चल रही है। इसका ख़मयाज़ा मुसाफ़िरों को भुगतना पड़ रहा है। बहरहाल रेलवे बजट अपनी मुक़द्दर की पटरी पर चल कर मुसाफ़िरों को उन की मंज़िल तक वक़्त पर सही सलामत ले जाए तो काफ़ी है।