नई दिल्ली: तबसरा करते हुए कि अवामी नुमाइंदों को बुलंद बाँग दावे नहीं करना चाहिए क्योंकि इस तरह के ऐलानात अख़लाक़ीयात और क़ानून के ताबे होते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2007 के समझौता ऐक्सप्रैस बम धमाके में महलूक के फ़र्ज़ंद को फ़राहमी मुलाज़िमत में 8 साल की ताख़ीर पर रेलवेज़ को एक लाख रुपये हर्जाना अदा करने की हिदायत दी है।
अदालत ने ये निशानदेही की कि उस वक़्त के वज़ीर रेलवे लालू प्रसाद यादव ने बम धमाके में हलाक अफ़राद के विरसा-ए-को 10 लाख रुपये मुआवज़े के अलावा रेलवेज़ में ख़ानदान के एक फ़र्द को मुलाज़िमत फ़राहम करने का वादा किया था। फ़िर्याज़ की वालिदा सकीना बेगम 68 महलोकीन में शामिल थीं जबकि 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस (दिल्ली । अटारी ट्रेन ) में बम धमाका पेश आया था। अदालत ने उल-मनाक हादिसे के मौक़े पर खोखले वाअदे नहीं करना चाहिए बसूरत-ए-दीगर सरकारी हुक्काम पर से अवाम का एतिमाद उठ जाएगा।