मुल्क की मआशी (माली हालात/आर्थिक स्थिती)के सुधारों के दर्मीयान गैस, पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने के बाद अब रेल का किराया भी बढ़ सकता है। रेलवे की माली हालात को मजबूत करने के लिए अब हुकूमत मुख्तलिफ मुहिम की तैयारी में है। फायनेन्स मिनिस्टर पी चिदंबरम का कहना है कि मुसाफुर रेलवे में बेहतर सहूलीयत चाहते हैं तो उन्हें ज्यादा किराया देना ही होगा।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक रेलवे को इक़्तेसादी बोहरान (आर्थिक संकट) से बचाने के लिए हुकूमत ब्लूप्रिंट तैयार कर रही है। वज़ारत खज़ाना ( वित्त मंत्रालय /Finance ministry) , मंसूबा बंदी कमीशन (योजना आयोग/Planning commission) और रेलवे इस ताल्लुक या सिलसिले में तज़वीज ( उपाय) कर रही हैं। इनमें रेलवे का किराया बढ़ाना, सरमायाकारी ( निवेश/Investment) बढ़ाने के लिए आवामी (सार्वजनिक) व निजी हिस्सेदारी (निजी भागीदारी /Public – Private Partnerships), माल ढुलाई के लिए गोल्डन क्वाड्रीलैटरल नेटवर्क तैयार करना और फंड हासिल करने के लिए ज़मीन वसाएल (संसाधनों/Land resources) के जरिए रकम हासिल करना या जुटाना शामिल है।
किराया मुकर्रर के लिए एक खुद मुख्तार रेल रेगूलेटरी अथारिटी ( प्राधिकरण/ Railway Regulatory Authority) बनाने की मुहिम भी हो सकती है या फिर किराए को अफरात ज़र की शरह (मुद्रास्फीति/Inflation) से भी जोड़ा जा सकता है। रेलवे के जदीदकारी (आधुनिकीकरण /Modernization) पर सेम पित्रोदा की कियादत में बने माहिर ग्रुप ने रेलवे के लिए अगले पांच सालों में 8.39 लाख की जरूरत बताई थी।
इस हदफ ( निशाने/ Target) को पाने के लिए सर्विस टैक्स आइद करने के साथ अमल शुरू कर दी गई है। अखबार ने एक आला आफीसर के हवाले से लिखा है कि रेलवे का टर्न ए राउंड अब अगला एजेंडा है। इस इदारे ( संस्थान) में नई जान डालने के लिए कोशिशें जारी हैं।