लोकसभा इंतिख़ाब में बीजेपी को 14 में से 12 सीटें देने वाले झारखंड को मोदी हुकूमत के पहले रेल बजट में तीन ट्रेनों की सौगात मिली है। इनमें टाटानगर से बंगलुरू जाने वाले पैसेंजर्स के लिए टाटानगर-बंगलुरू एक्सप्रेस (साप्ताहिक) चलाने की ऐलान की गई है। वहीं, अलावा हटिया-राउरकेला पैसेंजर नाम से एक ट्रेन चलाने का फैसला किया गया है। इसके अलावा बिहार के झाझा से पटना तक चलने वाली मेमू ट्रेन अब झारखंड के जसीडीह तक चलाने की ऐलान की गई है।
हाथ लगी मायूसी
हर बार की तरह इस बार भी रेल बजट में झारखंड को मायूसी ही हाथ लगी है। धनबाद, जो रेलवे को आमदनी देने के मामले मे मुल्क मे दूसरे मुकाम पर है, को एक भी नयी ट्रेन नहीं मिली। राजधानी एक्सप्रेस को रोज चलाने, देहरादून, बक्सर, लखनऊ, पोरबंदर, इंदौर की नई ट्रेनों की मांग तो पुरानी हो चुकी है। मुंबई, यशवंतपुर, चेन्नई और अजमेरशरीफ के ट्रेनों का फेरा बढ़ाने की मांग भी काफी लंबे वक़्त से हो रही है। मगर, इस बजट में भी इनमें से एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया।
नई लाइनों की आस पर फिरा पानी
रांची से जमशेदपुर के लिए नई रेल लाइन की उम्मीद भी आवाम ने बांध रखी थी। पलामू के बरवाडीह से छत्तीसगढ़ के चिरमिरी तक रेल लाइन बनने से पलामू की मुंबई से दूरी 300 किलोमीटर तक कम हो सकती थी। इन सब का कोई जिक्र इस रेल बजट में नहीं है।
अधूरे प्रोजेक्ट्स पर नहीं डाली नजर
रियासत में कई रेल मंसूबों को अधूरा छोड़ दिया गया है या उसका काम इतना धीमा है कि पूरे होने के आसार फिलहाल नहीं दिख रहे हैं। कोडरमा वाया रामगढ़-रांची रेल ट्रैक अधूरा है। कोडरमा-तिलैया, कोडरमा-गिरिडीह रेल ट्रैक वगैरह कई काम अधूरे हैं। इनमें से किसी पर नई हुकूमत ने नजर नहीं डाली है।