शहर में मौजूद रैतू बाज़ारें में जहां रेट बोर्ड में रेट लिखने के बावजूद अवाम से हर अशीया पर दे चार रुपये बढ़ कर वसूल करते हुए बेपरियें की तरफ से मनमानी की जा रही थी,उम्मीद है कि अब इस पर लगाम लग जाऐगी,और अवाम को ना सिर्फ़ बगैर ग्रेडिंग के अच्छी तरकारी मिल सकेगी बल्कि रेट भी उन्हें वहां मौजूद रेट बोर्ड के हिसाब से ही अदा करना होगा।
दरअसल रैतू बाज़ार के उसूल के मुताबिक़, रीतूओं(किसानों) को अपने अपने खेतों में काशत किए गए तर्कारीयों को बराह-ए-रास्त लाकर रैतू बाज़ार में मौजूद स्टाल में बैठ कर सिर्फ़ आम सारफ़ीन को फ़रोख़त करना होताहै मगर ज़्यादा तर किसान इस सरकारी उसूल-ओ-ज़वाबत की खुले आम ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए ,आम गाहक के बजाय रैतू बाज़ार के बाहर और महलों में फ़रोख़त करने वाले सब्ज़ी फ़रोशों को एक नंबर का माल ज़ियाद से ज़्यादा तादाद में फ़रोख़त करदेते हैं और इस तरह ज़्यादा तर सकनड और थर्ड ग्रेड की तरकारियां रैतू बाज़ार में फ़रोख़त के लिए रखी जाती हैं।
नतीजा ये होताहै कि लोग अच्छी तर्कारीयों की ख़ाहिश में बाहरसे और महंगी कीमत में खरीद ने पर मजबूर हो जाते हैं ।ज़राए का कहना है कि रीतूओं की तरफ से रैतू बाज़ार में जो ग्रेडिंग की हुई (छाट कर अलग की गई) तरकारियां फ़रोख़त के लिए रखी जाती है उसे भी रेट बोर्ड से दो चार रुपये ज़ाइद कीमत में फ़रोख़त करने की कोशिश की जाती है।
ताहम अब महिकमा एग्रीकल्चर एंड मार्किटिंग डिपार्टममेंट की तरफ से शहर के तमाम रैतू बाज़ारों में मना कोरा गया लो (अपनी तरकारी) के नाम से अलहिदा काउंटर क़ायम किया गया है।
जहां रैतू बाज़ार से ताल्लुक़ रखने वाले स्टाफ़ के ज़रीये तमाम तर्कारीयों को बगैर किसी बेशी के सिर्फ़ रेट बोर्ड के हिसाब से ही ग्राहकों को फ़राहम किया जा रहा है जिस पर अवाम ने ज़बरदस्त रधे अमल का इज़हार किया है।