रॉयल तेलंगाना रियासत में रेड्डी और मुस्लिम तबक़ात का ग़लबा!

तेलंगाना रियासत की तशकील अक़लीयतों के हक़ में है या फिर रॉयल तेलंगाना में अक़लीयतें बादशाहगर का रोल अदा कर सकते हैं? रियासत की तक़सीम की सरगर्मियों के दौरान होने वाली तब्दीलियों को देखते हुए सियासतदानों और अवाम के दरमियान इस मसअले पर मुबाहिस जारी हैं। इब्तिदा में कांग्रेस से ताल्लुक़ रखने वाले क़ाइदीन का एहसास था कि 10 अज़ला पर मुश्तमिल तेलंगाना रियासत की तशकील के बाद अक़लीयतों को हुक़ूक़ हासिल करने में मदद मिलेगी और तेलंगाना की हुकूमत में इन का अहम किरदार होगा लेकिन अब जबकि कांग्रेस हाईकमान ने रॉयल तेलंगाना की तजवीज़ पेश की है।

क़ाइदीन का कहना है कि रॉयल तेलंगाना में रेड्डी तबक़ा और मुस्लिम अकलियत का हुकूमत पर ज़्यादा असर रहेगा। रॉयल तेलंगाना के क़ियाम की तजवीज़ के साथ ही तेलंगाना से ताल्लुक़ रखने वाले पसमांदा तबक़ात और दीगर तबक़ात के क़ाइदीन उलझन का शिकार हैं और वो किसी भी सूरत में इस तजवीज़ से दस्तबरदारी के लिए हाईकमान से नुमाइंदगी कर रहे हैं।

10 अज़ला पर मुश्तमिल तेलंगाना रियासत में इस बात का क़ुवी इमकान था कि बी सी तबक़ा हुकूमत पर असरअंदाज़ रहेगा लेकिन रॉयल तेलंगाना की तजवीज़ के साथ ही फिर एक मर्तबा रेड्डी तबक़े के असरअंदाज़ होने के इमकानात बढ़ चुके हैं। ताहम बाअज़ क़ाइदीन का ख़्याल है कि रॉयल तेलंगाना की तशकील के बाद अक़लीयतों का मौक़िफ़ और भी ताक़तवर हो जाएगा क्युंकि कुरनूल और अनंतपूर में अक़लीयतों की काबिले लिहाज़ आबादी है।

सयासी मुबस्सरीन का ख़्याल है कि मुस्लिम अक़लीयतें , बी सी से ज़्यादा रेड्डी तबक़े से करीब रही हैं। लिहाज़ा रेड्डी और अक़लीयतें मिल कर किसी भी नई रियासत के इक़्तेदार पर ग़ालिब आ सकते हैं।