हैदराबाद।०५अप्रैल: कारवाँ-ए-उर्दू के सदर और डिप्टी डायरैक्टर न्यूज़ दूरदर्शन हैदराबाद शुजाअत अली आई आई उसने रोज़नामा सियासत के मज़हबी ऐडीशन की भरपूर सताइश करते हुए कहा कि इस जिद्दत की जितनी तारीफ़ की जाय कम ही। उन्हों ने अपने एक तास्सुराती ब्यान में कहा कि वैसे तो हैदराबाद के सभी उर्दू रोज़ नामे अपनी पुनी जगह आसमान-ए-सहाफ़त के चमकते हुए सितारे हैं लेकिन रोज़नामासियासत की इन्फ़िरादियत हर मुहिब उर्दू को मुतास्सिर करती ही।
खासतौर पर सियासत के इस नए मज़हबी ऐडीशन ने इस्लाम की अज़्मतों को उजागर करने के लिए जिस मयार को अपनाया है वो ना सिर्फ काबिल-ए-क़दर बल्कि काबिल-ए-तहसीन ही। मुख़्तलिफ़ रोज़ नामों की मुख़्तलिफ़ पालिसीयां होसकती हैं, मुख़्तलिफ़ सयासी जमातों के मुख़्तलिफ़ नज़रियात होसकते हैं लेकिन नज़रिया इस्लाम चाहे आप सियासत में हूँ सहाफ़त में हूँ या कि तिजारत में हूँ एक ही थी, एक ही हैं और एक ही रहेंगी।
इदारा सियासत बेहद मुबारकबाद का मुस्तहिक़ है कि इस ने मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम सिद्दीक़ी तसख़ीर नायब मुफ़्ती जामिआ निज़ामीया को इस ऐडीशन के मुरत्तिब करने की ज़िम्मेदारी सौंपी ही। मुझ नाचीज़ की ये तजवीज़ है कि जुमा को शाय होने वाले कम से कम 100एडीशंस के मुकम्मल होने पर उसे एक किताब की शक्ल दे दी जाय ताकि ये ऐडीशन इस्लामी मालूमात के एक ख़ज़ाना के तौर पर हर घर, हर इदारा और हर लाइब्रेरी की ज़ीनत बन जाई।
इस मज़हबी ऐडीशन में आप ने पयाम क़ुरआन, पयाम हदीस, इस्लामी अदब-ओ-तसव्वुफ़ और ज़िंदगी में मज़हब का मुक़ाम जैसे इंतिहाई ज़रूरी मौज़ूआत को शामिल करके साबित करदिया कि आप इस्लाम की मयारी सहाफ़त को भी सेना से लगाए हुए हैं। एक और तजवीज़ जिसे मैं इदारा सियासत के सामने रखना चाहता हूँ वो ये है कि क़ारईन को ये बताया जाय कि हिंदूस्तान के इस मुशतर्का समाज में हम अपने मज़हबी उसोलों और इक़दार से समझौता किए बगै़र कैसे ज़िंदगी गुज़ारें? ।
मुझे यक़ीन है कि आप सब की ये काविशें दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करेंगी।आप के लिए तो मैं बस इतना ही कहूंगा:
मैं कहां रुकता हूँ अर्श-ओ-फ़र्श की आवाज़ सी
मुझ को जाना है बहुत ऊंचा हद-ए-परवाज़ सी