रोज़ाना 6,000 या ज़्यादा क़दम की चहल क़दमी करना अधेड़ उम्र की ख़वातीन के लिए शूगर और कलबी आरिज़े का जोखिम घटा सकता है, एक नए जायज़ा में ये दावा किया गया है।
जरीदा enopause में शाय जायज़ा में पाया गया कि मामूल के साथ जिस्मानी सरगर्मी चाहे ये वरज़िश के ज़रीया हो या महज़ रोज़मर्रा के काम काज से हो, ख़वातीन की सेहत को बेहतर बनाने की ताक़त रखती है।
जरीदा में बताया गया कि रोज़ाना 6,000 या ज़्यादा क़दम चलने से ज़ियाबतीस और मेटाबोलिक सिंड्रोम शूगर का नक़ीब और जोखिम बराए कलबी आरिज़ा का ख़तरा घटता है।