रोहनगया के 130 मुसलमान हलाक

यांगून, ०१ नवंबर (एजेंसीज़) राखीन बुद्धिस्टों और रोहनगया मुसलमानों के दरमयान बढ़ते हुए तशद्दुद से घबरा कर महफ़ूज़ मुक़ाम मुंतक़िल होने वाले बर्मी पनाह गज़ीनों की कश्ती उलट कर ग़र्क़ हो जाने से कम अज़ कम 130 पनाह के तालिब अफ़राद हलाक हो गए जबकि 6 अफ़राद को मुक़ामी माही ग़ैरों ने बचा लिया।

ये अफ़राद एक पुर हुजूम माही गेरी कश्ती के ज़रीया महफ़ूज़ मुक़ाम पर पनाह लेने के लिए रवाना हुए थे। कश्ती ग़र्क़ हो जाने का ये वाक़िया मुस्लिम रोहनगया अक़ल्लीयत और मुक़ामी राखीन बुद्धिस्टों के दरमयान तशद्दुद का होलनाक तरीन वाक़िया है। जिस तरह गुज़शता 11 दिनों में महलोकीन ( मरने वालो) की तादाद 80 हो गई। ये सरकारी ब्यान है।

दरीं असना हज़ारों मकान बिशमोल ( जिसमें) इबादत गाहे तबाह किए जा चुके हैं। कश्ती के ग़र्क़ होने की वजूहात वाज़िह नहीं हैं, लेकिन अंदेशा है कि ये भी फ़िर्कावाराना तशद्दुद ( दंगे) का नतीजा हो सकता है, जिस की वजह से बर्मा में इस्लाह का अमल ख़तरा में पड़ गया है।

तशद्दुद की पहली लहर जून में आई थी, जिस से 75 हज़ार अफ़राद जिन में अक्सरीयत ( बहुसंख्यक) मुसलमानों की थी, अपने मकानों से फ़रार होने पर मजबूर हो गए थे। गुज़शता 10 दिनों के दरमयान नसली झड़पों के नतीजा में 30 हज़ार से ज़्यादा अफ़राद जिन की ग़ालिब अक्सरीयत रोहनगया मुसलमानों की है, बेघर हो चुकी है।

एक रोहनगया मुसलमान अबोताहे ने कहा कि उसे अंदेशा है कि आइन्दा हफ़्तों में भी सूरत-ए-हाल इंतिहाई ग़ैर मुस्तहकम रहेगी। गुज़शता 5 माह से तशद्दुद हर जगह जारी है। चहारशंबा के दिन रामरी जज़ीरा में झड़पों के दौरान फ़ौज ने रोहनगया देहातियों को मुक़ामी राखीन अफ़राद के हुजूम ( भीड़) से बचाने की कोशिश की थी।