रोहिंग्या मामले पर विश्व बैंक ने बांग्लादेश को मदद करने का आश्वासन दिया है। विश्वबैंक ने कहा कि रोहिंग्या को पुनर्वास करने के लिए बांग्लादेश योजना बनाए और सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को सही जीवनयापन के बारे में रणनीति पर विचार करे।
इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने एक बयान में कहा था कि म्यांमार से आए करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को उनकी सरकार समर्थन देना जारी रखेंगी।
हसीना ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों की मदद से एक द्वीप पर रोहिंग्या के लिए अस्थाई शरण स्थलों को बनाए जाने की एक योजना पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि शेख हसीना संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिस्सा लेकर हाल ही में लौटी हैं।
अप्रैल माह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य रोहिंग्या संकट का आकलन करने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार का दौरा किया था। समिति ने रोहिंग्या मामले की रिपोर्ट तैयार कर सौंपी थी।
शेख हसीना ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार में अपने घरों को नहीं लौट जाते तब तक ये बस्तियां उनके लिए अस्थाई है। उनकी सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को खाद्य सामग्री और शरण उपलब्ध कराकर मदद देती रहेगी। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम हिंसा को रोकने में नाकाम रहने पर म्यामांर को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का भी सामना करना पड़ा था।
गौरतलब है कि पिछले साल 2017 में म्यांमार में हिंसा के बाद पांच लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश आ चुके है। म्यांमार ने साफ कर दिया था कि उनका देश रोहिंग्या को नस्ली समूह के रूप में मान्यता नहीं देता है।
रोहिंग्या बांग्लादेश के बंगाली प्रवासी है और देश में वे अवैध रूप से रह रहे हैं। म्यांमार सरकार ने अभी तक रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी है। यह देश अभी तक रोहिंग्या को उनके अधिकारों को देने से इनकार करता रहा है।