रोहिंग्या मुसलमानों के साथ अदूरदर्शी नीति अपना रही है आंग सान सू की सरकार: संयुक्त राष्ट्र

जेनेवा: म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ जो सलूक हो रहा है, उसे लेकर देश की नेता आंग सान सू की पर दबाव बढ़ रहा है. रखाइन प्रांत में बहुसंख्यक मुसलमानों से सरकार जैसे पेश आ रही है, उससे सरकार की चौतराफा आलोचना हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार कार्यालय ने कहा है कि उन्हें म्यांमार में रूहंगिया मुसलमानों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने की रिपोर्ट हर रोज मिल रही हैं. लेकिन वहां की सरकार इस तरह के दावों से इनकार कर रही है जिससे स्थिति बगड़ रही है.

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प्रदेश 18 के ख़बरों के मुताबिक, मानवाधिकार आयोग के आयुक्त जैदुल हुसैन ने इस संबंध में एक बयान जारी करके कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित आंग सान सू की सरकार इस मामले में अदूरदर्शी नीति अपना रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार अब तक 27 हजार रूहंगिया मुसलमान म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश जा चुके हैं.
रोहिंग्या नागरिकता विहीन लोग हैं, जो लंबे समय से म्यांमार में रह रहे हैं लेकिन म्यांमार उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता. म्यांमार के लिए वो बांग्लादेश से आए गैर कानूनी शरणार्थी हैं. सेना ने म्यांमार का जो संविधान बनाया है, उसमें सुरक्षा मामलों का नियंत्रण सेना के हाथ में है. ऐसे में, राजनयिक और सहायताकर्मी इस बात को लेकर हताशा जताते हैं कि सू ची रोहिंग्या संकट से प्रभावी तरीके से निपटने में सक्षम ही नहीं हैं.
सू ची सत्ताधारी पार्टी की सबसे बड़ी नेता हैं, लेकिन कानूनी अड़चन के कारण वो राष्ट्रपति साथ म्यांमार की विदेश मंत्री भी हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने म्यांमार की सरकार से कहा है कि वो सैनिकों पर लगने वाले मानवाधिकार हनन के आरोपों की जांच कराए. उन्होंने सहायताकर्मियों को प्रभावित इलाकों जाने की अनुमति देने की अपील भी की है.