आख़िर इतने कपड़े धो कर किसने डाले , इस इमारत को देख कर यक़ीनन ज़हन ( दिमाग) में यही सवाल आता है , लेकिन लंदन की इस इमारत पर ये कपड़े धोकर सुखाने के लिए नहीं डाले गए बल्कि बिल्डिंग को उन पुराने कपड़ों से सजाया गया है । हज़ारों की तादाद में ये पुराने मलबूसात (पहनने के कपड़े) एक मुहिम (योजना) के तहत जमा किए गए हैं जिसका मक़सद लोगों में लिबास के बेहतरीन तरीक़े से इस्तेमाल का शऊर उजागर करना है।
इस मुहिम ( योजना) के तहत लोगों पर ये ज़ोर दिया जा रहा है कि जब भी वो कोई नया लिबास खरीदें तो पुराना लिबास फेंकने के बजाए उसे बेहतर इस्तेमाल के लिए अतीया ( तोहफा/ बख्शीश) कर दें । ये लिबास उनकी नज़र में नाक़ाबिल इस्तेमाल हो सकता है लेकिन ये किसी ग़रीब फ़र्द (आदमी) के लिए इंतिहाई (ज़्यादा) एहमीयत का हामिल ( रखने वाला) है जिस का ख़ुद उन्हें अंदाज़ा नहीं।