लंदन में सरदार

एक सरदार लंदन जा पहुंचे।
घर सेट करने के लिए सबसे पहले टी वी ख़रीदने की सोंची. और एक बड़े स्टोर के अंदर गए। पहले तो उनका मुँह हैरत से खुल गया, क्योंकि वहां सुईसे लेकर जहाज़ तक मिल सकता था। फिर वो एक काउंटर पर गए और सेल्ज़मैन से पूछा, ये टी वी कितने का है?
`हम सिखों को टी वी नहीं बेचते।.. सेल्ज़ मैन ने टका सा जवाब दिया।

सरदार जी को ज़ोर का झटका ज़ोर से लग गया- और उन्होंने क़सम खाई कि यही टी वी खरीदूंगा।

दूसरे रोज़ सरदार भेस बदल कर गए, काली ऐनक और इंतिहाई मुख़्तलिफ़ ड्रेस और सेल्ज़मैन से कहा- ये टी वी कितने का है?
“हम सिखों को टी वी नहीं बेचते।” सेल्ज मैन ने फिर वही जवाब दे दिया।

सरदार जी बड़े हैरान हुए कि इसने मुझे कैसे पहचान लिया- साथ ही वो ज़्यादा ग़ुस्सा और ज़िद में आ गए।

तीसरे दिन तो सरदार जी ने अपनी दाढ़ी कटवा कर, क्लीन शेव बनाकर, अपनी पगड़ी तक उतार कर अपना हुलिया क़तई तबदील कर दिया। और जा पहुंचे उसी स्टोर में , सेल्ज़मैन से कहा कि टी वी कितने का है?

हम सिखों को टी वी नहीं बेचते।” सेल्ज़मैन ने इत्मिनान से वही जवाब दिया-सरदार जी को तो आग ही लग गई।
चौथे दिन तो वो औरत का रूप धार कर आ गया और बुर्क़ा भी ओढ़ लिया- और सेल्ज़मैन से वही सवाल किया, ये टी वी कितने का है.”
हम सिखों को टी वी नहीं बेचते। इस का वही जवाब था।

अब सरदार जी ने हिम्मत हार दी और इंतिहाई आजिज़ी से सेल्ज़मैन से मुख़ातब हुए। भाई एक बात तो बताओ मैं इतने हुलिए बदल बदल कर आता रहा हूँ, और तुम हर दफ़ा मुझे पहचान लेते हो
आख़िर कैसे?
सेल्ज़मैन ने इतमीनान से जवाब दिया ,” चूँकि चार दिन से आप जिसे टी वी कह रहे हैं वो दरअसल वाशिंग मशीन है।