शहर हैदराबाद में ओक़ाफ़ी जायदादों पर नाजायज़ क़बज़ा, क़ब्रिस्तानों की बेहुर्मती और क़ुबूर को मिस्मार करने की कोशिशों का सिलसिला फिर एक बार ज़ोर पकड़ता जा रहा है और ताज्जुब की बात तो ये है के लैंड गराबरस की इन कोशिशों पर अर्बाब मजाज़ ख़ामोश तमाशाई बने हुए हैं। एक ऐसी ही कोशिश क़लब(बीच) शहर लक्कड़ी का पुल में जारी है, जहां एक आलीशान इमारत की तामीर के लिए क़ुबूर को मिस्मार करदिया गया।
इस क़ब्रिस्तान से मुत्तसिल मस्जिद की दीवार और बुनियादों को भी इस इमारत की तामीर से ख़तरा लाहक़ होगया है इस के इलावा क़ब्रिस्तान की दूसरे जानिब हेरिटेज इमारत वाक़ै है जिस को हेरिटेज इमारतों की फ़हरिस्त में दर्ज कर लिया गया बावजूद इस के किसी भी महिकमा की जानिब से काम पर एतराज़ नहीं किया गया और इंतिहाई अफ़सोसनाक बात तो ये है के इस क़ब्रिस्तान को मिस्मार करने और ज़मीन के नक़्शा से हटाने की कोशिश की इत्तिला पर शहर के एक रुकन असेंबली ने मुक़ाम का दौरा किया और बड़े पुरजोश अंदाज़ से ना सिर्फ इस इमारत की तामीर की मुख़ालिफ़त की बल्कि हुक्काम की मदद से तामीरात को रुकवाने का दावा किया।
इस रुकन असेंबली का ये दावा महज़ सयासी दावा साबित हुआ और एक मर्तबा पुरजोश दिखाई देने वाले रुकन असेंबली बहुत जल्द ही सर्द पड़ गए। बताया जाता है के लकड़ी का पुल के इलाक़ा में वाक़ै आसमान महल के इलाक़ा में ये कोशिश जारी हैं। एक बिल्डर जो डेवलपर भी है, ने इस मुक़ाम पर जो मुकर्रम जाह हॉस्टल और मस्जिद क़ुतुब शाही के क़रीब वाक़ै है, क़ब्रिस्तान में मौजूदा तक़रीबन तमाम क़ुबूर को मिस्मार करदिया और दो क़ुबूर जो कि एक ही ख़ानदान के हैं।
इन क़ुबूर के अतराफ़ तक़रीबन 20 फुट अंदर तक खुदवाई करदी और एक सतून के अंदाज़ में क़ुबूर को छोड़ दिया। इस तामीरी काम पर मोसलयाने मस्जिद क़ुतुब शाही और अतराफ़ की आबादी में बेचैनी पाई जाती है। ये क़ुबूर मिर्ज़ा आसिफ़ अली बेग और उन की अहलिया तहज़ीब उलनिसा-ए-बेगम की हैं। इस क़ब्रिस्तान में मदफ़न अफ़राद के साथ जारी सुलूक निहायत तकलीफ़देह और नाक़ाबिल ब्यान है ।
लकड़ी का पुल इलाक़ा मह्दी फंक्शन हाल के क़रीब ये मुक़ाम वाक़ै है जबकि क़ब्रिस्तान की बेहुर्मती और मस्जिद के तहफ़्फ़ुज़ पर वक़्फ़ बोर्ड की ख़ामोशी हरीटीज इमारत को लाहक़ ख़तरा पर आसारे-ए-क़दीमा और बलदिया की ख़ामोशी माना ख़ेज़ बनी हुई है। ताज्जुब की बात तो ये है के इस मुक़ाम से ए पी सकरीटरीट, वक़्फ़ बोर्ड और बलदिया का सदर दफ़्तर अंदरून एक किलो मीटर पर वाक़ै है।
इस ख़सूस में एक मुक़ामी शख़्स ने अपना नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि उन्हों ने इस रुकन असेंबली से दुबारा रब्त पैदा किया, जिन्हों ने बड़ी गर्मजोशी से यहां आकर अपना जलवा दिखाया था। इस रुकन असेंबली से दुबारा इस मुक़ामका दौरा अपने बलंद बाँग दावे के मुताबिक़ काम को रुकवाने की दरख़ास्त की गई तो इस रुकन असेंबली ने इन अफ़राद से बेसाख़ता अंदाज़ में कह दिया कि उन्हें पार्टी के सदर की हिदायत मिली है कि इस जानिब तवज्जा ना दें और अपने इलाक़ा की मसाजिद में नमाज़ अदा करें ताकि अवामी राबिता क़ायम रहे।
जब इस शख़्स ने जिन्हों ने नाम ज़ाहिर ना करने की दरख़ास्त की इस रुकन असेंबली से पूछा कि जो मस्जिद आप के इलाक़ा में नहीं किया आप उस की हिफ़ाज़त, तहफ़्फ़ुज़ और देख भाल की फ़िक्र नहीं करेंगे तो इस रुकन असेंबली ने अपने तौर पर कोशिश करने का तय्क्कुन दिया। इस बात की इत्तिला पाकर क़ाइद मजलिस बचाउ तहरीक कारपोरेटर आज़म पूरा अमजद उल्लाह ख़ां ख़ालिद ने चीफ़ मिनिस्टर आंधरा प्रदेश मिस्टर किरण कुमार रेड्डी को एक याददाश्त रवाना करदी और इस तामीर को रुकवाने की दरख़ास्त की
। क़ाइद एमबी टी ने चीफ़ मिनिस्टर को रवाना करदा अपने मकतूब में तमाम तफ़सीलात पर रोशनी डाली और मुतालिबा किया कि वो फ़ौरी इक़दामात करते हुए तामीराती काम रुकवाएं।