वज़ीर ए आला नीतीश कुमार की हुकूक ए सफर (अधिकार यात्रा) शुरू से ही मुतनाज़े में घिरी हुई है। खुद को बिहार में तरक्की का मसीहा बताने वाले नीतीश कुमार को इस सफर के दौरान जबरदस्त मुखालिफत का सामना करना पड़ रहा है।
आवाम के मुखालिफत का आलम यह है कि लोग उन पर जूते-चप्पल फेंक रहे हैं, नारेबाजी कर रहे हैं और काले झंडे दिखा रहे है। इस तरह के मुखालिफतो से आजिज हो कर उनकी हिफाज़त में लगे इंतेज़ामिया ( प्रशासन) भी अब अजीबोगरीब और शर्मनाक फैसले लेने पर उतर आए है।
इसका नमूना यह है कि अब नीतीश की इजलास ( सभा) में ख्वातीनो और लड़कियों के काले दुपट्टे तक उतरवा लिए जा रहे है, ताकि कोई मुख्यमंत्री को काला झंडा न दिखा सके।
नवादा में बुधवार को वज़ीर ए आला नीतीश कुमार के मना करने के बावजूद प्रोग्राम में लड़कियों के काले दुपट्टे पुलिस ने उतरवा लिए। इस वजह से कई ख्वातीन जलसा ए आम (जनसभा) से वापस लौट गईं।
सिक्योरिटी के नाम पर इंतेज़ामिया (प्रशासन) की तरफ से की जा रही इस तरह की शर्मनाक हरकत से लोगों में और गम व गुस्सा बढ़ रहा है। जबकि वज़ीर ए आला की हिफाज़त में लगी पुलिस सिर्फ काले कपड़े की तलाश करती रहती है। हैरान की बात यह है कि ऐसी शर्मनाक हरकतें आफीसर बड़ी लगन से कर रहे हैं।
वाजेह है कि नीतीश की हकूक सफर में मुसलसल मुखालफत की जा रही है। बिहार में गुजस्ता सात साल के दौरान ऐसा पहली मर्तबा हुआ है कि वज़ीर ए आला नीतीश कुमार का कोई सफर मनफी ( नकारात्मक) वजुहात के मज़ीद चर्चा में आई हो। इसका सिलसिला 23 सितंबर को शुरू हुआ, जो अब तक जारी है।
नीतीश की रद्दे अमल (प्रतिक्रिया) यही रही कि यह सब अपोजीशन की साजिश है, क्योंकि उसके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है।
दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव हाथ आए इस बड़े मुद्दे को छोड़ने के मूड में बिलकुल नहीं हैं। उन्होंने नीतीश पर ताना मारते हुए कहा है कि क्या लोग अपने काले बाल भी कटवा कर वज़ीर ए आला के इजलास में जाए। लालू ने कहा कि हुकूक ए सफर के दौरान वज़ीर ए आला के इजलास में काले कपड़े पर पाबंदी लगा दी गई है।
इसकी आड़ में बिहार की ख्वातीनो और लड़कियों का काला दुपट्टा ले लिया जा रहा है, उनकी बेइज्जती की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में जम्हूरियत (लोकतंत्र/ Democracy) नहीं है, पुलिस की हुकूमत कायम हो गयी है।