हैदराबाद 27 मई – मुस्लिम मुआशरा में शादी ब्याह के मुआमलात तय करना आज-कल जोए शेर लाने से कम नहीं। लड़के वाले हों या लड़की वाले बात-चीत के दौरान इस क़दर अजीबो ग़रीब सवालात कर जाते हैं जिसे सुन कर ऐसा लगता है कि हमारा मुआशरा अख़लाक़ी पस्ती की जानिब रवां दवां है।
हाल ही में एक मुहज़्ज़ब ख़ानदान के एक इंजिनियर लड़के के लिए लड़की तलाश की जा रही थी। किसी तक़रीब में लड़के की माँ और दीगर ख़ातून रिश्तेदारों ने एक लड़की को देख कर उस की माँ से बात-चीत की और उन्हें बताया कि आप की लड़की हमें बहुत पसंद आई और चाहते हैं कि हमारे लड़के से इस का रिश्ता तय हो जाए।
अगर आप लोग बात-चीत के लिए घर का पता बताएं तो एक मुक़र्ररा तारीख़ को हम लोग आकर बात कर सकते हैं। बहरहाल लड़की की वालिदा ने लड़के वालों की इस तमाम गुफ़्तगु को सुनने के बाद जो सवालात किए इस के बारे में जान कर आप को अंदाज़ा होगा कि हमारा मुआशरा किस जानिब जा रहा है।
लड़की की वालिदा ने सब से पहले इस्तिफ़सार किया कि लड़के के चेहरा पर दाढ़ी है? आया आप लोग बुर्क़ा पहनते हैं? घरों में पर्दा का एहतेमाम किया जाता है, क्या बच्चों की सालगिरा मनाई जाती है? क्या शादीयों में रस्म और रिवाज का एहतेमाम किया जाता है? क्या आप लोग मुशतर्का ख़ानदान में यक़ीन रखते हैं? आया लड़के के वालिदैन ज़ईफ़ हैं? अरकान ख़ानदान की तादाद तो ज़्यादा नहीं? इधर-उधर जाने पर पाबंदी तो नहीं? वग़ैरा वग़ैरा।
इन सवालात को सुन कर लड़के वाले कुछ देर के लिए हैरत में पड़ गए और पुरज़ोर अंदाज़ में जवाब दिया कि माशा अल्लाह लड़के के चेहरा पर दाढ़ी है और वो सुन्नते रसूल पर अमल कर रहा है। आप ने बुर्क़ा के बारे में सवाल क्या इस का जवाब ये है कि हमारे घर की ख़वातीन पर्दा का एहतेमाम करती हैं और बुर्क़ा ख़वातीन की अज़मत और वक़ार की अलामत है। उन की इज़्ज़त और इफ़्फ़त की हिफ़ाज़त के लिए एक ढाल है।
बच्चों की सालगिरा मनाने के बारे में जो आप ने सवाल किया है औलाद हर माँ बाप के लिए क़ुदरत की नेअमत होती है और हमारे घर में हर दिन एक तरह से बच्चों की सालगिरा का दिन ही होता है।
ताहम हम अपने बच्चों से इस तरह मुहब्बत करते हैं जिस तरह एक मुसलमान माँ बाप को हिदायत दी गई है। मग़रिबी तर्ज़ पर उन्हें अपने हाथों तबाही और बर्बादी की जानिब नहीं ढकेलते। हद तो ये है कि मेहमान नवाज़ी का सलीक़ा खाने पीने के आदाब और दावतों में बिरयानी से मेहमानों की ज़याफ्त इसी पुराना शहर के लोगों ने दूसरों को सिखाई।
आप को बतादें कि आज पुराना शहर में माँ बाप अपने बच्चों की तालीम और तर्बीयत पर और उन के अख़लाक़ और किरदारसाज़ी पर ख़ुसूसी तवज्जा दे रहे हैं। इस लिए शादी के रिश्ते तय करने के दौरान ये नहीं देखना चाहीए कि आप शहर के किस हिस्सा से ताल्लुक़ रखते हैं बल्कि ये देखना होगा कि लड़के , लड़की वालों में शराफ़त है या नहीं?
आज-कल ये बात भी देखने में आ रही है कि लड़के का घर ज़ाती नहीं है या लड़की वाले दौलतमंद नहीं हैं तो शादी से इनकार कर दिया जाता है। बहरहाल रिश्तों के लिए शराफ़त को अव्वलीन तर्जीह दी जानी चाहीए।